हजारों मौतों से मिलेगी निजात, अब होगी आकाशीय बिजली की भविष्‍यवाणी

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नई दिल्ली।। भारी बारिश के दौरान आकाशीय बिजली के कड़कने की आवाज सुनकर हर कोई भयातुर हो जाता है और उसके गिरने से तो सनसनी ही फैल जाती है। आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं से हर साल देश उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड सहित देश के कई राज्यों में 2000 से 2500 लोगों की अकाल मौतें हो जाती हैं।

कई लोग इसे ईश्वरीय आपदा मानते हैं। वहीं, कई लोगों में यह जानने की जिज्ञासा है कि आकाशीय बिजली कैसे उत्पन्न होती है और धरती से कैसे टकराती है? इसी पर गैर-लाभकारी संगठन क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (सीआरओपीसी) ने अपनी तरह की पहली रिपोर्ट जारी की है।

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रिपोर्ट के अनुसार, इस साल हिंदुस्तान में अप्रैल से जुलाई के बीच चार महीनों की अवधि में कम से कम 1,311 मौतें बिजली के गिरने से हुई हैं। इसी अवधि के दौरान 65.55 लाख बिजली गिरने की घटनाएं सामने आईं। इनमें से 23.53 लाख (36 फीसद) घटनाएं क्लाउड-टू-ग्राउंड लाइटनिंग के रूप में हुई, जो पृथ्वी पर पहुंचती है और 41.04 लाख (फीसद) घटनाएं इन-क्लाउड लाइटनिंग के रूप में हुईं, जो बादलों तक ही सीमित रहती है।

वैज्ञानिकों को क्लाउड-लाइटनिंग स्ट्राइक के अध्ययन और निगरानी से पता चला है कि धरती पर आकाशीय बिजली गिरने से 30-40 मिनट पहले भविष्यवाणी करना संभव है। इससे कई लोगों की जान बच सकती है। 16 राज्यों में एक पायलट प्रोजेक्ट को अंजाम देने के बाद हिंदुस्तानीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस वर्ष से मोबाइल संदेशों के माध्यम से आकाशीय बिजली के पूर्वानुमान और चेतावनी प्रदान करना शुरू कर दिया है। हालांकि, यह अभी तक सभी क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं है।

फोटो- फाइल

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