पर्यटक ही बनें रेनबो माउंटेन की खूबसूरती के दुश्मन, जानें क्यों इतनी संकट में है ये पहाड़

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पर्यटन डेस्क. दुनियाभर के पर्यटकों के लिए यह खबर निराश कर सकती है। पेरू के खूबसूरत रेनबो माउंटेन को देखने के लिए पूरी दुनिया से पर्यटकों की आवक सालभर रहती है। लेकिन इन दिनों यह पवर्त अपने अस्तित्‍व के संकट से गुजर रहा है। आखिर क्‍या है इस पर्वतमाला की खूबियां। यह पहाड़ आज क्‍यों संकट में है।

रेनबो माउंटेन

पांच वर्ष पूर्व पर्वत पर पड़ी लोगों की नजर

करीब पांच साल पहले पेरू में रेनबो माउंटेन की खोज की गई। अपनी खास खूबियों के कारण इस पर्वत का नाम रेनबो माउंटेन रखा गया। 17 हजार फीट ऊंचे इस पर्वत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बारिश के वक्‍त आसमान में दिखने वाले इंद्रधनुष के कई रंग इस पर्वत पर एक साथ दिखते हैं। यानी पूरी पर्वत श्रृंखला इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह दिखती है। सूर्य की रोशनी में ये सात रंग साफ ताैर पर देखे जा सकते हैं।

रेनबो माउंटेन यानी कुदरत का करिश्मा

पेरू में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मोन्टाना डि सिएट कोलर्स है। यह पर्वतमाला कुस्को क्षेत्र में एंडीज पर्वतमाला में है। लोग इसे रेनबो माउंटेन भी कहते हैं। साल में करीब आठ महीने इन पहाड़ों का रंग इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह ही रहता है। ऐसी मान्यता है कि हजारों साल पहले पहाड़ों का रंग सामान्य था, लेकिन पत्‍थरों के क्षरण की वजह से पहाड़ों की ऊपरी मिट्टी बह गई और इनके अलग-अलग रंग सामने आए। लाल, पीला, हरा, और बैंगनी रंगों की आभा इस पर्वत पर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है।

पर्यटकों से उत्‍पन्‍न हुआ खतरा

इस पहाड़ को देखने के लिए दुनियाभर से हर साल करीब चार लाख पर्यटक आते हैं। पर्यटकों का यह प्रेम अब इस पर्वत के लिए खतरा बन गया है। पर्यटकाें द्वारा छोड़ा गए अपशिष्‍ट इस पहाड़ को धीरे-धीरे क्षति पहुंचा रहे हैं। यहां पहुंचने के लिए कुस्को से करीब छह घंटे का वक्‍त लगता है। इसमे से करीब तीन घंटे पर्यटकों को पैदल ही चलना पड़ता है। ऊंचाई ज्यादा होने से यहां ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, इससे सांस लेने में मुश्किल होती है।

 

वैज्ञानिकों का क्‍या है दावा

इस पर्वत के सात रंग लोगों के लिए अभी भी एक पहेली से कम नहीं है। वैज्ञानिकों का दावा है कि पर्वत की इंद्रधनुषी छटा यहां प्रचुर मात्रा में मौजूद खनिज तत्वों के कारण बनती है। पर्वत का लाल रंग आयरन ऑक्साइड, पीला आयरन सल्फाइड, हरा या नीला क्लोराइट की वजह से है। इस पहाड़ के कई रंगों में पाये जाने के पीछे बर्फ का पिघलना और उसके जल में घुलने वाले खनिजों के निक्षेप से हुआ है।

पर्यटकों को दो मौसम में नहीं जाने की नसीहत

यहां पर्यटकों को बाकयादा यह निर्देश जारी होता है कि वह बरसात और बर्फवारी वाले मौसम में नहीं आए। इसके पीछे दो बड़ी वजहे हैं। पहला, बारिश और बफवारी में पर्वत में दिखने वाले सात रंग नहीं दिखाई पड़ते हैं। इसके अलावा इस मौसम में पर्वत तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को बहुत दुर्गम क्षेत्र से गुजरना पड़ता है। इससे पर्वत की दुर्गम चढ़ाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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