पाकिस्तान में भारतीय चुनाव को लेकर खौफ का माहौल, डर के मारे पीएम इमरान खान ने…

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उत्तराखंड ।। पाकिस्तान बेसब्री से हिंदुस्तान में हो रहे लोकसभा इलेक्शन के परिणामों का इंतजार कर रहा है। आर्थिक तंगी व आतंकवाद के मामले में पूरे विश्व में बदनामी झेल रहे पाकिस्तान के पास अब हिंदुस्तान से ही उम्मीद की किरण दिखाई देती है। इमरान सरकार बीते कई सालों से मोदी सरकार से बातचीत का प्रस्ताव रख रहे हैं।

उनका कहना है कि कश्मीर का मुद्दा सुलझाने के लिए हिंदुस्तान को बातचीत की मेज पर आना चाहिए। वहीं हिंदुस्तान का कहना है कि वह तब तक बातचीत के लिए कदम नहीं बढ़ाएगा, जब तक पाकिस्तान बॉर्डर पर फायरिंग बंद नहीं करेगा। इमरान के लिए ये दुविधा की स्थिति है, क्योंकि अमेरिका समेत सभी यूरोपीय देश भी उसका साथ छोड़ रहे हैं।

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बॉर्डर से सटा चीन भी पाकिस्तान के बजाय अपने हित साध रहा है। ऐसे में उसके सामने पड़ोसी हिंदुस्तान ही मात्र विकल्प है जो उसे मुसीबत से उबार सकता है। हिंदुस्तान का राष्ट्रीय चुनाव अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। हिंदुस्तान में अगली सरकार को पाकिस्तान के साथ राजनीतिक संबंधों के प्रबंधन की बात करना आसान नहीं लग रहा है।

पाकिस्तान से निपटने का प्रश्न एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बना हुआ है। जारी चुनाव बताता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा देश में प्रमुख चुनावी बहसों में से एक है। बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान की स्थिति और बदतर हुई है। हिंदुस्तानीय हवाई हमले को मोदी सरकार ने प्रतिष्ठा से जोड़कर जनता में देशभक्ति की लहर को उठा दी है।

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इस्लामाबाद को लग रहा है कि मोदी सरकार अगर दोबारा आती है तो उसे बातचीत के भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। उसे हिंदुस्तान की कई शर्तों पर अमल करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी सरकार के साथ वह नए सिरे से काम कर सकती हैं। हिंदुस्तान से बेहतर संबंध बनने के बाद ही उसे विश्व बिरादरी से राहत मिलने के आसार हैं। पाकिस्तान की सरकार ने पिछले कुछ टाइम से ये सुनिश्चित किया है कि अगर दोनों राज्य कई उत्कृष्ट मुद्दों को हल करने में गंभीरता से रुचि रखते हैं, तो बातचीत ही एकमात्र व्यावहारिक तरीका है।

पाकिस्तान के पास दो ही विकल्प हैं या तो वह आतंकवाद पर बड़ी कार्रवाई करके अमरीका का दिल जीत ले या हिंदुस्तान से दोस्ती करके अपना हित साध ले। इमरान खान के पास दूसरा रास्ता ज्यादा आसान है, क्योंकि पाकिस्तान की सेना ही आतंकवाद को पाल-पोस रही है। ऐसे में आतंकवादियों का सफाया करना पाकिस्तान के लिए असंभव है।

वह हिंदुस्तान की नई सरकार से कुछ समझौते करके अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। अगर पुरानी सरकार दोबारा आती है तो इमरान को कड़ी मशक्कत करनी होगी। मोदी सरकार अपनी शर्तों पर पाकिस्तान से बातचीत के रास्ते खोल सकती है। वही नई सरकार के साथ पाकिस्तान आसानी से दोस्ती का हाथ फैला सकता है।

लेकिन मोदी की हिंदुस्तान में लोकप्रियता से इमरान खान भी वाकिफ हैं। वह जानते हैं कि इस चुनाव में मोदी को नकारा नहीं जा सकता है। वह चुनाव में मोदी की मजबूती को भांपने की कोशिश कर रहे हैं।

फोटो- फाइल

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