अस्पताल की आड़ में इस खतरनाक काम को अंजाम दे रही थी ये महिला डॉक्टर

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राजस्थान ।। जहां आम इंसान डॉक्टर को भगवान समझते हैं वहीं कुछ डॉक्टर्स उनकी भावनाओं के साथ खेलने का काम करते हैं। कुछ डॉक्टर्स के लिए तो उनके पेशंट्स भगवान होते हैं और वे अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं लेकिन कुछ इसी की आड़ में बुरे कामों को अंजाम देते हैं।

कुछ ऐसा ही किस्सा रायपुर से एक महिला डॉक्टर का सामने आया है। जब बच्चा बेचने वाला हाईप्रोफाइल रैकेट फूटने के बाद एक उसमें नया मोड़ आया। इस मामले में एक महिला डॉक्टर शानू मसीह फंसी है जिनके क्लीनिक ब्लेश चिकित्सालय में लिखा रजिस्ट्रेशन नंबर शहर के नामी डॉक्टर का निकला। क्लीनिक बोर्ड पर रजिस्ट्रेशन नंबर 1030 लिखा है और वे शहर की अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ। पूर्णेंदु सक्सेना का नंबर है। खतरनाक काम को अंजाम दे रही थी यह खूबसूरत महिला डॉक्टर, चलिए बताते हैं क्या है ये पूरा मामला ?

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डॉ। सक्सेना के खिलाफ हुए इस खुलासे के बाद पुलिस ही नहीं बल्कि मेडिकल काउंसलिंग की टीम भी कई तरह के तथ्यों में जाकर पड़ताल करने लगी। दूसरी तरफ डॉ। सक्सेना का कहना था कि एमसीआई से हर डॉक्टर को रजिस्ट्रेशन के लिए नंबर दिया जाता है। 1030 मेरा नंबर है, जिसे महिला ने फर्जी ढंग से बोर्ड पर लिखा है।

वे ऐसी किसी महिला डॉ। को नहीं जानते हैं और ना कभी उनसे बात ही हुई है। टिकरापारा टीआई दिलीप सिसोदिया ने बताया कि डॉ। शानू ने राजेंद्रनगर में ये क्लीनिक खोला था जिसके पीछा उसका मकान है और वहां गर्भवती महिलाओं का इलाज किया जाता था। उसके अस्पताल के बोर्ड में जो रजिस्ट्रेशन नंबर था उसके और डॉ।के बारे में पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग से जानकारी मांगी।

उस डॉ। ने त्रिवर्षीय कोर्स पूरा करने की डिग्री मिली। वे साल 2004 में ये कोर्स करके निकली और साल 2007 से प्रैक्टिस कर रही हैं। उसके क्लीनिक और घर से मिले दस्तावेज जब्त कर लिए गए और उनका वेरिफिकेशन हो रहा है।

पुलिस ने बताया कि डॉ। शानू ने साल 2007 में क्लीनिक सह अस्पताल खोलकर उसके बोर्ड में तभी रजिस्ट्रेशन नंबर लिथा जो असल में डॉ। सक्सेना का निकला। पुलिस इस बारे में जांच कर रही है कि महिला डॉ। ने अस्पताल चलने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया खा या नहीं और उसे क्या नंबर दिया गया। अगर ये साबित हुआ तो वो फर्जी रजिस्ट्रेशन के काम कर रही थी तब उसके खिलाफ धोखाधड़ी का चार्ज लगेगा।

पुलिस के मुताबिक, उस महिला डॉक्टर का अस्पताल फर्जी था इसके साथ ही वो बच्चे एक से तीन लाख में बेचते थे। हाल ही में उन्होंने दो बच्चे डेढ़-डेढ़ लाख में ओडिसा और झारखंड में दो दंपत्ति को बेचे हैं। यही नहीं एक बच्चे का सौदा अंबिकापुर में किया। आरोपियों ने ये भी बताया कि कानून के तहत उन्हें बच्चा गोद दिया जाता था।

कलेक्टर के माध्यम से उन्हें बच्चा मिलेगा, इसलिए उनसे पैसा लिया जाता था। पूरी प्रक्रिया में बहुत पैसा लगता था, अब पुलिस उन चारों दंपत्तियों से संपर्क कर रही हैं और वे अच्छे परिवार के लोग हैं।

फोटो- फाइल

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