अभी- अभी- कश्मीर से आई फारूक अब्दुल्ला को झटका देने वाली खबर, सभी लोग हैं हैरान

img

कश्मीर॥ पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला पर सरकारी भूमि हड़पने का आरोप लगा है। ये मामला कश्मीर के सुजवां का जहां आरोपों के  अनुसार रोशनी एक्ट के अंतर्गत फारुक अब्दुलला ने तीन कनाल भूमि खऱीदी किंतु बगल की सात कनाल भूमि पर कब्जा कर लिया।

farooq abdullah 1

पच्चीस हजार करोड़ के रोशनी भूमि घोटाले में फारुक अब्दुल्ला पर फारुक में 10 करोड़ की सरकारी भूमि हड़पने का आरोप लगा है। ये मामला जम्मू के सुजवां में जंगल की भूमि पर कब्जे का है। आरोपों के अनुसार फारुक अब्दुल्ला ने सुजवां में 3 कनाल भूमि खरीदी तीन कनाल का पजेशन लेने के बजाय सात कनाल की भूमि पर कब्जा कर लिया।

आपको ज्ञात करा दें कि रोशनी घोटाले में पीडीपी, नेशनल कॉ न्फ्रेंस और कांग्रेस के बड़े नेताओं के नाम सामने आए हैं। इनमें पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू, शहजादा बानो, एजाज़ हुसैन द्राबू का नाम शामिल है। J&K के पूर्व कांग्रेस नेता केके अमला का भी घोटाले में नाम आया है। हसीब द्राबू के रिश्तेदार इफ्तिखार अहमद द्राबू का नाम भी शामिल है। पूर्व आईएएस अधिकारी शफ़ी पंडित पर घोटाले में शामिल होने का आरोप है। वहीं होटल कारोबारी मुश्ताक अहमद छाया पर भी सरकारी भूमि हड़पने का आरोप है।

दरअसल रोशनी एक्ट 2002 में फारूक अब्दुल्ला के सीएण रहते अस्तित्व में आया था। इसमें बताया गया था कि 1990 तक J&K के जिस नागरिक के पास जो भूमि है उसपर उसका कब्जा बना रहेगा किंतु नागरिकों को कुछ फीस चुकानी होगी। इस फीस से सरकार को तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपए की कमाई होगी और इस रुपए को J&K में बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में खर्च किया जाएगा। बिजली की वजह से ही इस एक्ट को रोशनी एक्ट का नाम दिया गया था।

फारुक अब्दुल्ला के बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में जब पीडीपी की सरकार बनी तो उस एक्ट में बदलवा करते हुए यह कहा गया कि अब 1990 नहीं बल्कि 2003 तक जिस नागरिक के पास जितनी भूमि होगी उसे इस एक्ट में शामिल किया जाएगा। इसी तरह बाद में जब गुलाम नबी आजाद J&K के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने समयसीमा 2007 तक कर दी और कहा कि 2007 जिस नागरिक के पास जितनी भूमि होगी वह इस एक्ट के अंतर्गत कवर होगी।

ऐसा बताया जाता कि चूंकि हर सरकार इस एक्ट की अवधि बढ़ा रही थी तो ऐसे में प्रदेश के भीतर भूमिों को कब्जे करने का प्रचलन बढ़ गया और J&K में राजनीतिक रसूख वाले तथा पैसे वाले लोग भूमिों पर कब्जा करने में लगे हुए थे। उल्टे सरकार ने इस एक्ट से जिस पच्चीस हजार करोड़ रुपए की कमाई का लक्ष्य निर्धारित किया था उसका आधा प्रतिशत से भी कम रुपया सरकारी खजाने में जमा हो सका। सरकार के खजाने में 80 करोड़ रुपए भी जमा नहीं हो सके। अब कोर्ट ने इस एक्ट को ईलीगल करार दिया है।

 

Related News