पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के दूसरे दिन इन सभी पर केस दर्ज किया है। पुलिस ने दावा किया था कि सुधा भारद्वाज, अरुण परेरा, वरवर राव, गौतम नवलखा और वरनोन गोन्जाल्विस जनवरी में हुई हिंसा में भीड़ को उकसाने में शामिल थे। पुलिस ने इन पांचों को 11 धाराओं के अंतर्गत गिरफ्तार किया था, लेकिन एफआईआर की कॉपी में सिर्फ 2 धाराओं का जिक्र है।
अब इस मामले में पुणे पुलिस का दावा है कि जुटाए गए सबूतों से ये पता चल रहा है कि कबीर कला मंच और गिरफ्तार किए गए एक्टिविस्टों ने माओवादियों की मदद से फंड और भीड़ जुटाई और सामाजिक भावनाएं भड़काने वाला ये कार्यक्रम कराया। माओवादियों ने इन लोगों की मदद से दलित समुदाय को गुमराह किया और उसी के बाद भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई, जो देखते-देखते पूरे महाराष्ट्र में फैल गई।
8 जनवरी को दर्ज एफआईआर में क्या है?
दामगुड़े की एफआईआर में लिखा है कि दामगुड़े ने फेसबुक पर पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के कार्यक्रम के बारे में पढ़ा। दामगुड़े इस कार्यक्रम में गया, जहां वह नए नए एक्टिविस्ट बने जिग्नेश मेवाणी, उमर खालिद, रत्न सिंह, प्रशांत डोंथा से मुलाकात की। इस कार्यक्रम में सद्भावना के खिलाफ भावनाएं भड़काने वाले गाने बजाए जा रहे थे। कार्यक्रम में मराठी में एक गाना चलाया जा रहा था। इसका मतलब था- मान्यताओं को किनारे कर दो और नए पेशवाई (सवर्णों) को खत्म कर दो।’ उसने छह लोग सुधीर धावले, सागर गोरखे, हर्षिला पोटदार, रमेश, दीपक और ज्योति पर भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया।
वरवर राव ने कहा कि यह सरकार की साजिश
तेलुगु कवि वरवर राव हैदराबाद लाए जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार पर साजिश का आरोप लगाया है। जबकि राव की बेटी ने भी पुलिस पर बदसलूकी का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने उनसे कहा- आपके पति दलित है, वो कर्मकांड नहीं मानते। पर आपतो ब्राह्मण हैं, फिर आप सिंदूर क्यों नहीं लगाती और गहने क्यों नहीं पहने हुए हैं।
कैसे बदलता गया पूरा मामला
अनीता सावले नाम की महिला ने 2 जनवरी को मराठा नेता संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे को अभियुक्त बनाते हुए एक शिकायत दर्ज कराई थी। 14 मार्च को मिलिंद एकबोटे को गिरफ्तार किया गया। मिलिंद बेल पर बाहर हैं, जबकि संभाजी भिड़े की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।
संभाजी के करीबी तुषार ने दर्ज कराया केस
तुषार दामगुडे ने कई एक्टिविस्ट के खिलाफ 8 जनवरी को शिकायत दर्ज कराई थी। 5 जून को पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया। ये सभी बेल पर बाहर हैं। अब 28 अगस्त को हैदराबाद से वरवर राव, ठाणे से अरुण परेरा, मुंबई से वरनोन, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से गौतम को गिरफ्तार किया।
अरुण परेरा को उनके पड़ोसी नहीं पहचानते
अरुण परेरा को ठाणे में चरई परिसर के कोबाड गली मे स्थित उनके फ्लैट भेज दिया गया। जिस कोबाड गली में रहते हैं, वहां उन्हें कोई नहीं पहचानता है। इस गली में नाई का काम करने वाले सचिन ने बताया कि वह पिछले 40 साल से यहां सैलून चला रहे है, लेकिन परेरा को नहीं जानते। सिर्फ सचिन ही नहीं इसी गली में कई कई वर्षों से दुकान चला रहे दुकानदारों ने भी यही कहा।
तार से तार जुड़ते गए और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
पुलिस द्वारा लगातार विभिन्न राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के बाद सबूत मिले हैं। इसमें उनके निशाने पर पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत देश के कई बड़े नेता थे। नक्सलियों के इन पत्रों में वरवर राव का जिक्र है। पुलिस ने कड़ियां जोड़कर सबूत जुटाए और इन्हें गिरफ्तार किया।
छह शहरों में छापा मारकर पांच लोगों की गिरफ्तारी
इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में इतिहासकार रोमिला थापर, प्रभात पटनायक समेत कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट ने असहमति को लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व बताया। पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए नजरबंदी की इजाजत दी। मामले में अगली सुनवाई अब 6 सितंबर को होनी है।
जब मीडिया में लीक हुआ चिट्ठी
पुलिस को मिली कुछ चिट्ठियों में से दो पत्र मीडिया में लीक हुए। इन चिट्ठियों में नक्सली और अलगाववादियों के बीच संपर्क और सुधा और प्रकाश के बीच हुए पत्राचार की जानकारी मिली है। दोनों पत्र कुछ इस प्रकार हैं। पहली चिट्ठी प्रिय कॉमरेड प्रकाश, प्रोफेसर साईबाबा को सजा होने के बाद अर्बन कैडर में जो दहशत पैदा हुई, उसका प्रभाव रोकने के लिए कश्मीरी अलगाववादियों द्वारा वहां के उग्रवादी संगठनों, उनके पारिवारिक सदस्यों और पत्थरबाजों को दिए जा रहे पैकेज के तहत हम अपने अर्बन कॉमरेड्स का उनके काम के अनुरूप पैकेज तय कर दें, ताकि वो समर्पित होकर काम करते रहें और किसी भी
सुधा भारद्वाज बोलीं दुर्घटना का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें
दूसरी चिट्ठी नक्सलियों ने चिट्ठी में किसी कांग्रेस नेता का भी जिक्र किया है,जो छात्रों के एक प्रदर्शन के दौरान उन्हें फंडिंग करने को तैयार था। हालांकि इस चिट्ठी में ये साफ नहीं है कि कांग्रेस का ये नेता कौन है। हालांकि इन पत्रों की सत्यता की जांच बाकी है।
कोर्ट के आदेश पर सभी 5 लोग घर में नजरबंद हुए
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी पांचों आरोपियों को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। पुलिस का कहना है कि इन्हेें सिर्फ परिजन और वकील से ही मिलने की अनुमति है।
कैसे शुरू हुई हिंसा
बात 1818 की है जब युद्ध में ब्रिटिश सेना ने पेशवा शासकों को हरा दिया। उस समय ब्रिटिश सेना में बड़ी तादाद में दलित समुदाय के लोग थे। इस जनवरी में इस युद्ध की 200वीं सालगिरह मनाने के लिए बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोग एकत्रित हुए थे। देखते-देखते ये कार्यक्रम जातीय हिंसा में बदल गया इसमें एक युवक की मौत हो गई। आरोप है कि ये हिंसा सुनियोजित तरीके से कराई गई थी। इस पूरे फसाद में 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।