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पंजाब के कपूरथला (पंजाब) के गांव खस्सण के लोगों ने वह कर दिखाया जाे अब तक देश के किसी गांव के लोग नहीं कर सके। इस गांव की पहचान है यहां का आधुनिक सुविधाओं से युक्त सरकारी प्राइमरी व हाई स्कूल। शतप्रतिशत जन सहभागिता से गांव में विकसित यह देश का पहला डिजिटल स्कूल है। गांव के लोगों ने सवा करोड़ की राशि चंदा से जमा कर स्‍कूल को डिजिटल बना दिया। इसके लिए गांव खस्‍मण काे सिटीजन चार्टर के आधार पर काम करने के लिए इस वर्ष नाना जी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार से नवाजा गया है। इसका श्रेय खस्सण ग्राम पंचायत और इसके सरपंच डॉ. एनएस कंग को है।

 मैथ्स पार्क:  कंप्यूटर लैब के अलावा इस स्कूल में मैथ्स पार्क भी बनाया गया है। बच्चों की गणित के प्रति रुचि जागृत करने के लिए इसे बनाया गया है। बच्चे गणित को बोझ न समझकर मनोरंजक ढंग से पढ़ते हैं।सरपंच डॉ. एनएस कंग ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत होने के बाद गांव का सरपंच बना तो सबसे पहले सिटीजन चार्टर को लागू किया। इसके बाद गांव में सभी काम सर्वसम्मति से होने लगे। इसके बावजूद शिक्षा व्यवस्था को लेकर मन में टीस रहती थी।कंग का कहना है, मैं चाहता था कि आम शिक्षा के अलावा बच्चों को कंप्यूटर की भी शिक्षा व्यवस्थित रूप से दी जाए। इसके लिए गांव के प्राइमरी व हाई स्कूल में बदलाव के प्रयास शुरू किए। स्कूल में कंप्यूटर लैब का निर्माण करवाया। ग्रामीणों व गांव और आस-पास से जुड़ाव रखने वाले प्रवासी भारतीयों (एनआरआइ) से चंदा जुटाया।

उन्‍होंने बताया‍ कि इस तरह अब तक स्कूल पर जन सहयोग से एक करोड़ 21 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। इसमें अमेरिका की सिलिकॉन वैली स्थित जोनीपर नेटवर्क फाउंडेशन का भी भरपूर योगदान रहा। वर्ष 2004 से 2012 तक कुल 34 लाख रुपये की सरकारी ग्रांट भी मिली है। बाकी रकम जनसहयोग से जुटाई गई।