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वाराणसी ।। पीएम मोदी के जीएसटी का विरोध विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा भी करने लगा है। ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया है।

अशोक कुमार ने कहा है कि कामगार विरोधी नीतियों ने अति पिछड़े कमजोर वर्ग के श्रमिकों और कामगारों को बुरी तरह से निराश किया है केंद्र सरकार ने जीएसटी लाकर हस्तशिल्प के क्षेत्र से जुड़े हुए 80 लाख से अधिक परंपरागत और पुस्तैनी कारीगरों की रोजी-रोटी पर चोट किया है तथा हस्तशिल्प कुटीर उद्योग के भविष्य के सामने एक प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।

महासभा के अध्यक्ष ने कहा है कि हस्तशिल्प उत्पाद निर्यात के बदौलत देश 25,000 करोड़ रुपए का विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। सरकार ने जीएसटी लाकर तथा करों का मनमाना एवं गैरवाजिब निर्धारण कर इस उद्योग को बर्बादी के कगार पर खड़ा कर दिया है, जबकि पहले से ही हस्तशिल्प कुटीर उद्योग की हालत काफी खराब है। बाकी रही सही कसर को जीएसटी ने पूरा कर दिया है। उन्होंने बताया कि हस्तशिल्प उद्योग केंद्रीय उत्पाद शुल्क तथा राज्यों में वैट से मुक्त था, किंतु इस उद्योग पर जीएसटी की 12- 18 और 28 प्रतिशत का कर निर्धारण किया गया है। इतना ही नहीं हाथ से बने लकड़ी के फर्नीचर पर भी 28 फ़ीसदी जीएसटी लगाया गया है, जो पूरी तरह से अनुचित और अन्याय पूर्ण है।

दूसरी ओर प्रदेश सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा संचालित शादी अनुदान योजना के लाभ से पिछड़े वर्ग को वंचित कर दिया गया है तथा दूसरी ओर अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को इस योजना का लाभ पूर्ववत दिया जा रहा है, जो सरासर भेदभाव और तुष्टीकरण का द्योतक है।

विश्वकर्मा ने बुनकरों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को वाजिब ठहराते हुए पूर्ण समर्थन देने का ऐलान किया है तथा सरकार से मांग किया है कि हस्तशिल्प उद्योग को पूर्व की भांति कर मुक्त रखा जाए तथा उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग के लोगों को पूर्व की भांति शादी अनुदान योजना से लाभांवित किया जाए अन्यथा संगठन बड़े आंदोलन को बाध्य होगा उन्होंने बताया हस्तशिल्प कारीगरों के स्वाभिमान तथा रोजी-रोटी से जुड़े अधिकारों को लेकर 16 जुलाई को टाउन हाल से एक विशाल अधिकार संदेश यात्रा निकाली जाएगी जो BHU सिंह द्वार तक पहुंचकर तत्पश्चात वापस शहीद उद्यान आकर समाप्त होगी।

फोटोः फाइल।

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