कुमारस्वामी और उनका परिवार कृष्ण नदी के तट पर इंद्रकेलाद्री पहाड़ी पर कनक दुर्गा मंदिर जाने के लिए विजयवाड़ा में थे। आंध्र प्रदेश के मंत्रियों पी पुल्ला राव और डी उमामहेश्वर राव, कृष्णा जिला कलेक्टर लक्ष्मीकांतम और अन्य लोगों ने गन्नवरम हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया। मंदिर जाने से पहले, कुमारस्वामी ने नायडू के साथ क्षेत्रीय दलों के महागठबंधन बनाने के लिए हो रहे प्रयासों के बारे में एक होटल में 40 मिनट तक चर्चा की। एनडीए के पूर्व सहयोगी रहे नायडू ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “हमने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी मोर्चे के गठन के तरीकों के बारे शुरुआती दौर के विचार-विमर्श किए। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय दल इस मोर्चे से जुड़ें। हमारा एकमात्र उद्देश्य राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) केंद्र की सत्ता में दूसरी बार वापसी ना कर सके।” नायडू ने सुझाव दिया कि पहले कदम के तौर पर, इस क्षेत्र में बीजेपी के विकास को रोकने के लिए दक्षिण भारत में सभी क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “आने वाले दिनों में हम अपनी चर्चा जारी रखेंगे।” कुमारस्वामी ने कहा कि जेडी (एस) लंबे समय से टीडीपी की दोस्त रही है और दोनों की एक जैसी विचारधारा साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाने की कोशिश की पहल हो चुकी है और शुक्रवार की बैठक इन्हीं प्रयासों की एक कड़ी है। उन्होंने कहा, “हमारा साझा लक्ष्य एनडीए को हराना है। हम एक मजबूत मोर्चा बनाने के लिए जितना संभव हो उतने क्षेत्रीय दलों को साथ लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।” कुमारस्वामी ने कहा कि प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार पर निर्णय चुनाव के बाद ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा, “अब हम एनडीए को हराने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। चुनाव के बाद, हम सभी एक साथ बैठेंगे और फैसला करेंगे कि पीएम उम्मीदवार किसे होना चाहिए।” संयुक्त मोर्चा के दिनों से ही टीडीपी और जेडी (एस) के संबंध अच्छे रहे हैं और दोनों ही उसका हिस्सा थे। नायडू इस साल अप्रैल में बेंगलुरू में कुमारस्वामी के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री, अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीएसपी अध्यक्ष मायावती सहित कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और गैर-एनडीए पार्टियों को एक साथ लाने पर अनौपचारिक चर्चा की। इस साल मार्च में, टीडीपी ने बीजेपी के साथ नाता तोड़ लिया था। टीडीपी के मुताबिक राज्य के विभाजन के दौरान केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश की अनदेखी की।
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