एयर इंडिया की करीब 70 सालों के बाद घर वापसी हो रही है। टाटा संस ने सबसे ऊंची बोली लगाकर एयर इंडिया को खरीद लिया है। अब जल्दी ही कंपनी के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। अनगिनत मुसाफिरों को उनकी मंजिल तक पहुंचानी वाली एयर इंडिया की कमान अब टाटा ग्रुप के हाथ में आ गयी है। हालाँकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एयर इंडिया की बिक्री के लिए लगाई गई दोनों बोलियों में से सरकार ने टाटा ग्रुप को चुना है. एयर इण्डिया को खरीदने के लिए टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय सिंह ने आखिरी बोली लगाई थी।
एयर इंडिया की घर वापसी
एयर इंडिया को 1932 में टाटा ग्रुप ने ही शुरू किया था।
टाटा समूह के जेआरडी टाटा इसके संस्थापक थे।
उस वक्त एयर इंडिया का नाम टाटा एयर सर्विस रखा गया था।
1938 में कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद एयर इंडिया सरकारी कंपनी बना दिया गया।
आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी।
टाटा संस को उठाना होगा 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज का बोझ
साल 2007 में इंडियन एयरलाइंस में विलय के बाद से एयर इंडिया कभी फायदे में नहीं रही है। एयर इंडिया में मार्च 2021 में खत्म तिमाही में लगभग 10,000 करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका जताई गई। कंपनी पर 31 मार्च 2019 तक कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज था लेकिन अब टाटा संस को इसमें से 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज के का बोझ उठाना होगा।