भ्रष्टाचार के चलते मोदी द्वारा एक मंत्री को हटाए जाने के बाद अब UP में भी हो सकती है बड़ी कार्यवाही !

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यूपी किरण ब्यूरो

नई दिल्ली/लखनऊ।। भाजपा सरकार द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त-भारत के दावे को गहरा झटका लगा है। सरकार के मंत्री ही भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं। मोदी सरकार को मिली ख़ुफ़िया रिपोर्ट के बाद केंद्रीय कैबिनेट के एक मंत्री की कुर्सी तो फ़िलहाल चली गयी लेकिन अभी भी कुछ मंत्री ख़ुफ़िया एजेंसियों के रडार पर हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में एक केंद्रीय मंत्री की छुट्टी के बाद मोदी सरकार पर ये पहला दाग है। एक टीवी चैनल को मिली एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक ये मंत्री भारत सरकार की खुफिया एजेंसियों की रडार पर थे, उनका फोन-टैप हो रहा था।

सूत्रों के मुताबिक हाल ही में हुए एक हाई प्रोफाइल छापेमारी के दौरान पकड़े गए चार आरोपियों ने इस कथित मंत्री का नाम लिया। बताया जाता है कि इन आरोपियों की इस मंत्री के साथ सौदेबाजी चल रही थी।फ़िलहाल मामले से जुड़ी फाइल पीएमओ कार्यालय में है। और आरोपी मंत्री को इस्तीफा देने का निर्देश दे दिया गया है। हालांकि सीबीआई ने फोन-टेप की बात को सिरे से नकार दिया है।

आपको बता दें कि कल होने वाले मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल से पहले बैठकों का दौर जारी है। बीते गुरुवार को पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की लम्बी बैठक के बाद उमा भर्ती ,संजीव बालियान ,महेंद्र नाथ पांडेय ,राजीव प्रताप रूडी और फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंत्रीमंडल इस्तीफा दे दिया।सूत्रों के मुताबिक एक मंत्री को वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप में हटाया गया है।

केंद्र सरकार की कैबिनेट में फेरबदल के बाद गोगी आदित्यनाथ भी कुछ मंत्रियों पर कार्यवाही कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक यूपी सरकार के मंत्रियों पर आरएसएस की पैनी नजर के साथ-साथ सतर्कता विभाग की भी नजर है। सूत्रों के मुताबिक यूपी के एक मंत्री का कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन चूका है। विभाग से वर्षों पहले रिटायर हो चुके अधिकारीयों को नियमविरुद्ध तरीके से इस मंत्री के कार्यालय में तैनाती मिल गयी है।

चूँकि ये उस विभाग में काफी समय से तैनात रहे हैं इसलिए उन्हें विभाग का हर अफसर व्यक्तिगत रूप से जानता पहचानता है जिससे इन अधिकारीयों से वसूली आसानी से हो जाती है। योगी सरकार के भी कुछ मंत्रियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने शिकायतें योगी आदित्यनाथ को लगातार मिल रही हैं। कयास लगाया जा रहा है कि केंद्र की कार्यवाही के बाद प्रदेश सरकार भी इस मामले में कड़ा रुख अख्तियार कर सकती है।

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