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ऑपरेशन सिंदूर के सफल संचालन के बाद भारत की रक्षा नीति में तीव्र बदलाव देखने को मिल रहा है। Chief of Defence Staff (CDS) जनरल अनिल चौहान ने स्पष्ट किया कि “कल के हथियारों” से “आज की युद्धभूमि” नहीं जीती जा सकती और वहीं DRDO प्रमुख समीर कामत ने बताया कि स्वदेशी प्रणालियाँ ने चीनी हथियारों को पीछे छोड़ दिया।
स्वदेशी हथियारों की शक्ति
ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और लूटरिंग म्यूनिशन जैसे Nagastra-1 और BrahMos ने पाकिस्तान में धमाकेदार प्रदर्शन किया। इंजीनियरिंग महत्त्व का वर्णन करते हुए कामत ने कहा कि Solar Defence जैसी कंपनियों ने Nagastra‑1R जैसे उन्नत ड्रोन विकसित किए, जिन्हें अब सेना द्वारा रात में प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है।
स्पेस सेटलाइट कवच
ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों ने भारत को एक स्पेस-शील्ड का विस्तार करने के लिए प्रेरित किया है—सरकार ने 2029 तक 52 रक्षा उपग्रहों के तैनाती की योजना बनाई है।
निर्यात और “मेक इन इंडिया”
इन्हीं उपलब्धियों ने रक्षा निर्यात को भी आगे बढ़ाया है। ब्रह्मोस की मांग बढ़ी है—वियतनाम, ब्राजील, यूएई जैसी कई देशों ने रुचि दिखाई है । सरकार ₹500 अरब के रक्षित लक्ष्य को हासिल करने के मकसद से निर्यात बढ़ाने की ओर अग्रसर है।
आधुनिक रक्षा क्षमताएँ और साझेदारी
भारत US से जल्दी हथियार खरीदने की दिशा में भी तेजी ला रहा है, खासकर Excalibur गाइडेड म्यूनिशन और Javelin मिसाइल के लिए । वहीं टेक्नोलॉजी साझेदारी के प्रयास भी तेज हुए हैं जैसे काउंटर ड्रोन सेंसर सिस्टम, VSHORADS, MPTAGM और VLSRSAM जैसे अत्याधुनिक उपकरणों के विकास पर जोर ।
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