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ghost army: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कई दिलचस्प और रोमांचक किस्से सुनने को मिलते हैं, मगर उनमें से एक सबसे अनोखा है "Ghost Army" का रहस्य। यह गुप्त सैन्य इकाई एक ऐसे समय में सक्रिय थी जब युद्ध अपने चरम पर था, और इसकी कहानी युद्ध के 50 साल बाद सामने आई।

घोस्ट आर्मी का नाम सुनकर आपको लग सकता है कि यह कोई भयानक और शक्तिशाली सेना होगी, मगर असल में यह एक अनोखी रणनीति थी। इस यूनिट में असली सैनिक नहीं थे, बल्कि यह एक धोखेबाज सेना थी, जिसका काम दुश्मनों को चकमा देना था। सोचिए, कैसे? इनके पास असली हथियार नहीं थे, बल्कि गुब्बारे से बने टैंक और बख्तरबंद वाहन थे, जो सिर्फ दिखावे के लिए बनाए गए थे। ये सारा प्लान अमेरिका का था।

जब ये नकली हथियार युद्ध के मैदान में तैनात होते थे, तो दुश्मन डर जाते थे। घोस्ट आर्मी के 1100 सदस्य एक साथ मिलकर ऐसे प्रदर्शन करते थे कि दुश्मन को लगता था कि वे एक बड़ी और ताकतवर सेना का सामना कर रहे हैं। ये सैनिक जब नकली हथियारों के साथ मार्च करते थे, तो दुश्मन की हिम्मत टूट जाती थी।

इस यूनिट में केवल सैनिक ही नहीं थे, बल्कि कलाकारों का भी एक समूह था, जो ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और रूस के आर्ट कॉलेजों से आया था। इन कलाकारों ने न केवल नकली हथियार बनाए, बल्कि वे ऐसे ध्वनियाँ भी निकालते थे कि सब कुछ असली लगे।

घोस्ट आर्मी का यह रहस्य दशकों तक छिपा रहा, मगर 2013 में PBS ने "The Ghost Army" नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनाई, जिसने इस अद्भुत कहानी को दुनिया के सामने लाया। ये कहानी न केवल युद्ध की चतुराई को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे रचनात्मकता और रणनीति मिलकर एक बड़ी ताकत बन सकती हैं।

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