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मोदी सरकार ने पांच दिनों का विशेष सत्र बुलाया है, इस सत्र में इस बात पर चर्चा हुई है कि मोदी क्या खेल खेल रहे हैं। कोई कहता है एक देश एक चुनाव तो कोई कहता है कि संविधान से इंडिया शब्द हटाया जाएगा।

मोदी सरकार अमृत काल में देश की जनता को गुलामी की मानसिकता और उससे जुड़ी चीजों से मुक्त कराने पर जोर दे रही है। अब कहा जा रहा है कि संविधान से इंडिया शब्द हटाने की तैयारी शुरू हो गई है। सरकार इस संबंध में संसद के विशेष सत्र में विधेयक पेश कर सकती है। सूत्रों ने दावा किया है कि इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह भी कहा कि हमारे देश का नाम सदियों से भारत है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भाजपा और आरएसएस को अब इंडिया नाम पर आपत्ति होने का एक और कारण यह है कि विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है। इसी वजह से देश का नाम भारत है और विपक्षी गठबंधन का नाम भी INDIA है।

संसद के मानसून सत्र में बीजेपी के राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल ने इंडिया शब्द की जगह इंडिया शब्द का इस्तेमाल करने की मांग की। उन्होंने कहा था कि इंडिया शब्द औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक है। 25 जुलाई को बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजों ने की थी।

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