कभी अटल की सरकार गिरवाई, अब मोदी का दे रहीं साथ; मायावती आखिर चाहती क्या हैं?

img

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने विपक्षी एकता की मांग को दरकिनार करते हुए नई संसद के उद्घाटन के समारोह में शामिल होने का ऐलान कर दिया है।

ऐसा पहली बार नहीं है जब पूरे विपक्ष की सत्ता पक्ष के खिलाफ लामबंदी के बीच ने अलग रुख अपनाया हो। मायावती पहले भी कई मौकों पर अलग दांव चल चुकी है।

कुछ एक्स्पर्ट मायावती के इस फैसले को दूसरे नजरिए से भी देख रहे हैं। क्योंकि राजनीति अनिश्चितताओं का खेल है तो भविष्य में इन दोनों दल के पास आने की सूरत भी बन सकती है।

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हर दल अपना पासा सोच समझकर फेंक रहा है। कभी केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाली मायावती के दांव से विपक्ष भी हैरान है। काँग्रेस समेत इक्कीस विपक्षी दलों के विरोध के बीच मायावती ने गुरुवार को ट्वीट कर नई संसद भवन के उद्घाटन पर अपनी राय रखी।

उन्होंने लिखा, केंद्र में चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, देश और जनहित के मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है। अट्ठाईस मई को संसद के नए भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है।

Related News