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Up Kiran, Digital Desk: भारत के कॉफी उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण की तैयारी हो चुकी है। कर्नाटक के चिकमगलूरु स्थित प्रतिष्ठित केंद्रीय कॉफी अनुसंधान संस्थान (CCRI) कल, शुक्रवार, 21 जून को अपने शताब्दी वर्ष के प्रतीक चिह्न (Centenary Emblem) और आदर्श वाक्य (Motto) का अनावरण करेगा। यह समारोह संस्थान की सौ साल की गौरवशाली यात्रा का जश्न मनाएगा, जिसने भारतीय कॉफी की पहचान को विश्व पटल पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है।

इस गौरवपूर्ण अवसर पर, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, श्री पीयूष गोयल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे और इन महत्वपूर्ण प्रतीकों का अनावरण करेंगे। समारोह सुबह 10:30 बजे, CCRI के विशाल कैंपस में आयोजित होगा। इस दौरान, स्थानीय विधायक श्री एस.एम. जयप्रकाश, कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. के. एन. राघवेंद्र और CCRI के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस. के. वासुदेवा भी उपस्थित रहकर इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे।

1925 में स्थापित, केंद्रीय कॉफी अनुसंधान संस्थान भारतीय कॉफी उद्योग की रीढ़ रहा है। पिछले लगभग सौ वर्षों से, यह संस्थान कॉफी की खेती में सुधार, कीटों और रोगों के प्रबंधन तथा कॉफी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अथक शोध कर रहा है। इसने देश में कॉफी उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे हजारों किसानों और उनके परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है।

CCRI ने कई उन्नत और रोग प्रतिरोधी कॉफी किस्मों को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है, जैसे 'चंद्रागिरि' और 'कावेरी', जिन्होंने भारतीय कॉफी किसानों को काफी लाभ पहुँचाया है। इसका अनुसंधान न केवल उत्पादकता बढ़ाता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और स्थिरता जैसी समकालीन चुनौतियों का भी सामना करता है, जिससे कॉफी की खेती भविष्य के लिए सुरक्षित हो सके।

यह शताब्दी समारोह सिर्फ अतीत का जश्न नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक रोडमैप भी है। CCRI अगले सौ वर्षों तक कॉफी अनुसंधान में उत्कृष्टता जारी रखने और भारतीय कॉफी को वैश्विक मानचित्र पर एक मजबूत स्थिति में बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। कॉफी बोर्ड और CCRI, वाणिज्य एवं उद्योग

 मंत्रालय के अधीन कार्य करते हुए, भारत को वैश्विक कॉफी मानचित्र पर एक मजबूत स्थिति में लाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। यह आयोजन भारतीय कृषि और अनुसंधान के क्षेत्र में CCRI के अमूल्य योगदान को रेखांकित करता है।

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