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Up Kiran, Digital Desk: उद्योगपति अनिल अंबानी एक बार फिर मुश्किलों में घिर गए हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को मुंबई में कंपनी और उद्योगपति से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई ₹2,000 करोड़ के कथित लोन फ्रॉड के मामले में की गई है।

SBI से ₹2000 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

आधिकारिक रिकॉर्ड्स के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और उसके प्रमोटर अनिल अंबानी पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को कथित तौर पर ₹2,000 करोड़ से ज़्यादा का चूना लगाने का आरोप है। SBI ने 13 जून 2025 को RBI के फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट और बैंक की अपनी नीति के तहत इस खाते को 'फ्रॉड' घोषित किया था। इसके बाद, 24 जून 2025 को SBI ने RBI को इस फ्रॉड के बारे में सूचित किया और CBI में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू की।

संसद में भी गूंजा मामला

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मानसून सत्र के दौरान संसद में लिखित जवाब देकर इस मामले की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था, "24 जून 2025 को बैंक ने RBI को फ्रॉड क्लासिफिकेशन की रिपोर्ट दी और CBI में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया में भी है।"

CBI अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मुंबई में RCOM और अनिल अंबानी से जुड़े ऑफिसों और परिसरों में तलाशी ली जा रही है। यह कार्रवाई इस आरोप के बाद हुई है कि कंपनी ने लोन के पैसों को डायवर्ट किया, जिससे बैंकिंग क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ। जांच आगे बढ़ने पर धोखाधड़ी की प्रकृति और अन्य कंपनियों की संभावित संलिप्तता के बारे में और जानकारी मिलने की उम्मीद है।

ED की कार्रवाई: 10 घंटे चली पूछताछ

यह पहली बार नहीं है जब अनिल अंबानी को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। 5 अगस्त को, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अंबानी से कई हज़ार करोड़ के बैंक लोन फ्रॉड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करीब 10 घंटे तक पूछताछ की थी। 66 वर्षीय अंबानी दिल्ली के ED मुख्यालय में सुबह करीब 10:50 बजे पहुंचे थे और रात 9 बजे से ठीक पहले निकले थे। उनसे Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के तहत बयान दर्ज किए गए थे।

35 ठिकानों पर ED की छापेमारी, लुक आउट सर्कुलर भी जारी

ED के अधिकारियों ने बताया कि अंबानी से लोन लेनदेन और वित्तीय फैसलों से जुड़े करीब एक दर्जन सवाल पूछे गए थे। माना जा रहा है कि उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और कहा है कि उनकी कंपनियों ने हमेशा नियामकों को अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में बताया है और सभी प्रमुख वित्तीय निर्णय संबंधित फर्मों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लिए गए थे।

हालांकि, जांचकर्ताओं को यह स्वीकार्य नहीं है और वे उन्हें फिर से समन कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, अंबानी ने प्रमुख वित्तीय निर्णयों के संबंध में अपने बयानों का समर्थन करने वाले अतिरिक्त दस्तावेज प्रदान करने के लिए सात दिन का समय मांगा है।

 ED ने 24 जुलाई को मुंबई में अंबानी के कारोबारी समूह के वरिष्ठ अधिकारियों सहित 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े 35 ठिकानों पर छापेमारी के बाद समन जारी किया था। बड़े बैंक धोखाधड़ी के मामलों में मानक प्रक्रिया के तहत उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) भी जारी किया गया है। रिलायंस समूह के कुछ अधिकारियों को बाद में सप्ताह में पूछताछ के लिए बुलाया गया था।