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Up Kiran, Digital Desk: भारत के ऑडियो इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है और इसके कारण 21000 से अधिक नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है। यह संकट चीन द्वारा दुर्लभ मृदा धातुओं के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न हुआ है। उद्योग निकाय ईएलसीना (ELCINA) ने सरकार को जो आंकड़े साझा किए हैं उनके अनुसार इस कदम से न केवल भारतीय उत्पादकों के लिए चुनौती खड़ी हो गई है बल्कि पूरी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला भी प्रभावित हो रही है।

चीन का कदम और उसके प्रभाव

अप्रैल 2023 में चीन ने टेरबियम और डिस्प्रोसियम जैसे दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के लिए निर्यात लाइसेंसिंग आवश्यकताओं पर प्रतिबंध लगा दिया। ये तत्व विशेष रूप से उच्च-प्रदर्शन वाले एनडीएफईबी (नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन) मैग्नेट के निर्माण में उपयोग होते हैं जो उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे स्पीकर हेडफ़ोन और अन्य श्रवण उपकरणों में आवश्यक होते हैं। अब इन चुम्बकों के लिए भारत की लगभग पूरी आपूर्ति चीन पर निर्भर है और इस प्रतिबंध के परिणामस्वरूप भारत को इसके आयात में कठिनाइयाँ आने लगी हैं।

ईएलसीना ने इस प्रतिबंध को "विनाशकारी" बताते हुए कहा है कि यह कदम भारतीय ऑडियो इलेक्ट्रॉनिक्स और पहनने योग्य उपकरणों के निर्माण में गंभीर बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है। संगठन का अनुमान है कि इस संकट के कारण ऑडियो घटक विनिर्माण से जुड़े करीब 5000-6000 प्रत्यक्ष और 15000 अप्रत्यक्ष रोजगार प्रभावित हो सकते हैं खासकर नोएडा और दक्षिण भारत जैसे प्रमुख उद्योग क्षेत्रों में।

क्या है इसका व्यापार पर असर

भारत को अपने एनडीएफईबी चुम्बक की जरूरत का लगभग 100 प्रतिशत आयात करना पड़ता है और इसमें से 90 प्रतिशत हिस्सा अकेले चीन से आता है। चूंकि चीन ने अब इन चुम्बकों के निर्यात पर कड़ी शर्तें लागू कर दी हैं इसने इनकी कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि कर दी है। इसके अलावा जापान, यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे अन्य स्रोतों से इन चुम्बकों की आपूर्ति करना भी महंगा और मुश्किल हो गया है। इन विकल्पों का दाम 2 से 3 गुना अधिक है और इन देशों में भारत की बढ़ती मांग को पूरा करने की पर्याप्त क्षमता भी नहीं है।

 

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