वर्तमान में चीन कोरोना वायरस से कहर बरपा रहा है। कोविड-19 संक्रमण के चलते यहां की स्वास्थ्य सेवाएं बे असर होने लगी हैं। इस बीच लंदन की एक ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स फर्म ने एक चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया है। फर्म ने बताया कि चीन की बेहद कम टीकाकरण और बूस्टर खुराक और संकर प्रतिरक्षा की कमी को देखते हुए, 13 से 21 मिलियन लोगों के मरने की संभावना है यदि बीजिंग अपनी शून्य-कोविड नीति को खत्म कर देता है।
एयरफिनिटी के विश्लेषण के मुताबिक, 'चीनी जनसंख्या में रोग प्रतिरोधक क्षमता का स्तर बहुत कम है। इसके नागरिकों को चीनी निर्मित टीके, सिनोवैक और सिनोफार्म दिए गए हैं, जो अब तक कम प्रभावी रहे हैं। ये टीके कोरोना संक्रमण और मृत्यु से बहुत कम सुरक्षा प्रदान करते हैं।
कंपनी ने यह भी कहा कि चीन की जीरो-कोविड नीति का मतलब है कि उसकी बड़ी जनसंख्या ने पिछले संक्रमणों के दौरान प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल नहीं की थी। इसके साथ साथ कंपनी ने कहा कि 'इन कारकों के परिणामस्वरूप, हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि अगर मुख्यभूमि चीन फरवरी में हांगकांग जैसी लहर देखता है, तो उसकी स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा जाएगी।' क्योंकि देशभर में 17 से 28 करोड़ लोग संक्रमित होंगे। नतीजतन, 13 से 21 लाख लोगों की जान जा सकती है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि चीन को अपनी जीरो कोरोना पॉलिसी से बाहर निकलने से पहले पहले प्रतिरक्षा का निर्माण करने के लिए वैक्सीनेशन में तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा, 'उसके बाद, चीन को कम से कम प्रभाव के साथ भविष्य की लहरों को रोकने के लिए एक हाइब्रिड रक्षा का निर्माण करना होगा।'
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