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Up Kiran, Digital Desk: बिहार के 2025 लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अब 27 नेताओं ने अपनी राजनीतिक वापसी की कोशिश शुरू कर दी है। ये नेता राजद, जदयू, भाजपा, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, एआईएमआईएम और अन्य दलों के प्रमुख चेहरों के रूप में विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आज़माने जा रहे हैं।

संसद से विधानसभा तक: बदलते राजनीतिक समीकरण
लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अब ये नेता बिहार की विधानसभा में अपनी पैठ बनाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा उम्मीदवार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने उतारे हैं, उसके बाद जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी का नंबर आता है।

राजद, जदयू, भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी दलों से जुड़े ये नेता आगामी विधानसभा चुनावों में वापसी की दावेदारी कर रहे हैं। इनमें से कुछ नेता पहले भी लोकसभा चुनाव हार चुके हैं, जबकि कुछ ने पहले से ही राज्य स्तर की राजनीति में अपनी जगह बनाई है।

राजद का बड़ा दांव: पुराने चेहरों को वापसी का मौका
राजद ने अपने पुराने और जाने-पहचाने चेहरों को टिकट दिया है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में हारने वाले नेताओं पर भरोसा जताते हुए उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा है। इनमें जय प्रकाश नारायण यादव (झाझा), ललित यादव (दरभंगा ग्रामीण), शाहनवाज़ आलम (जोकीहाट) और दीपक यादव (नरकटियागंज) प्रमुख हैं।

पार्टी ने कटिहार से चंदेश्वर चंद्रवंशी और रघुनाथपुर से दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को टिकट दिया है। इन नेताओं की वापसी की उम्मीद पार्टी को एक बार फिर से सत्ता में आने के लिए मिल सकती है।

जदयू ने वफादारी का दिया इनाम
जनता दल (यूनाइटेड) ने अपनी पार्टी के वफादार नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया है। इनमें पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और पालीगंज से चुनाव लड़ रहे संदीप सौरभ प्रमुख हैं।

लोकसभा चुनाव में नालंदा से हार चुके संदीप सौरभ अब पालीगंज से चुनावी मैदान में हैं। वहीं, सांसद वीणा देवी की बेटी कोमल सिंह वैशाली से चुनावी दावेदारी कर रही हैं।

भाजपा की रणनीति: पुराने चेहरे फिर से मैदान में
भाजपा ने भी अपने पुराने और ताकतवर नेताओं को टिकट दिया है। दानापुर से चुनाव हार चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव अब विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा रमा निषाद (औराई) और सुनील कुमार पिंटू (सीतामढ़ी) जैसे दिग्गज नेता भी पार्टी की ओर से मैदान में हैं।

परिवार के सदस्य भी राजनीति में: क्या ये परिवारवाद है?
कुछ नेता अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिलवाने में सफल रहे हैं। राजद के मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला गायघाट से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि वीणा देवी की बेटी कोमल सिंह जदयू से मैदान में हैं।

वामपंथी दल भी अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं
वामपंथी दलों ने भी चुनावी रणभूमि में अपने उम्मीदवार उतारे हैं। सीपीआई (एमएल) ने अवधेश राय (बछवाड़ा) को मैदान में उतारा है, जबकि सीपीआई ने दुलाल चंद्र गोस्वामी (काराकाट) और सीपीएम के संजय कुमार के भाई अजय कुमार को टिकट दिया है।