नयी दिल्ली। नजरबंदी हटते ही जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से कश्मीरी नेता अलगाववादी एजेंडे पर आ गए हैं। गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल ‘गुपकार समझौते’ पर चर्चा कर रहे हैं। इस बैठक में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, नेशनल कॉन्फ़्रेन्स, कांग्रेस, पीपल्स कॉन्फ़्रेन्स, पीडीएफ और सीपीआईएम शामिल है। राजनीतिक मीटिंग को देखते हुए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
ये बैठक नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने बुलाई है। जिसमें उमर अब्दुल्ला, बीतों दिनों नजरबंदी से रिहा हुई पीडीपी मुखिया और राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन समेत नेता शामिल हैं।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने और नेताओं की रिहाई के बाद ये पहली बड़ी बैठक हो रही है। जिसमें जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक हालात पर मंथन किया जाना है। सभी नेताओं ने अनुच्छेद 370 हटाने को गलत ठहराया है और वापस इसे लागू करने की मांग की है।
दरअसल, 5 अगस्त 2019 को जब अनुच्छेद 370 हटाई गई तो उससे पहले ही जम्मू-कश्मीर में हलचल बढ़ने लगी थी। तब घाटी के नेताओं ने एक साझा बयान जारी किया था, जिसमें अनुच्छेद 35A और 370 को खत्म करना या बदलना असंवैधानिक कहा गया था। साथ ही कहा गया था कि राज्य का बंटवारा कश्मीर और लद्दाख के लोगों के खिलाफ ज्यादती है। इसे ही बाद में गुपकार समझौता कहा गया।
गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरकार ने एहतियातन तौर पर कई नेताओं को नजरबंद किया था। इनमें फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन भी शामिल थे, जिन्हें अब रिहा कर दिया गया है। इसी के बाद घाटी में फिर से राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है।
महबूबा मुफ्ती ने अपनी रिहाई के बाद बयान दिया था कि जो दिल्ली ने हमसे छीना है वो हम वापस लेंगे और काले दिन के काले इतिहास को मिटाएंगे। इसके अलावा फारूक अब्दुल्ला ने भी बीते दिन कहा था कि चीन अनुच्छेद 370 वापस दिलाने में उनकी मदद कर सकता है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के कश्मीर में गुपकार रोड स्थित आवास पर 4 अगस्त, 2019 को आठ स्थानीय राजनीतिक दलों ने एक बैठक की थी। उस वक्त घाटी में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी पर्यटकों को वहां से निकलने को कहा गया था। पूरे देश में असमंजस की स्थिति थी कि आखिर केंद्र सरकार क्या कदम उठाने जा रही है जो इतने भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती करनी पड़ी और पर्यटकों को भी हटाना पड़ा। असमंजस के इसी माहौल में कश्मीरी राजनीतिक दलों ने मीटिंग बुलाई। उस मीटिंग में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसे गुपकार घोषणा (Gupkar Declaration) का नाम दिया गया।
22 अगस्त, 2020 को फिर से छह राजनीतिक दलों- नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, सीपीआई(एम) और अवामी नैशनल कॉन्फ्रेंस ने फिर से गुपकार घोषणा दो (Gupkar Declaration II) पर दस्तखत किया। इन सभी ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए की वापसी की लड़ाई साथ लड़ने का संकल्प लिया।
इसमें कहा गया, ‘हम आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए, जम्मू-कश्मीर के संविधान, इसके राज्य के दर्जे की वापसी के लिए साझी लड़ाई को लेकर समर्पित हैं। हमें राज्य के बंटवारा बिल्कुल नामंजूर है। हम सर्वसम्मति से यह दोहराते हैं कि हमारी एकता के बिना हमारे कुछ नहीं हो सकता।’ इसमें आगे कहा गया, ‘5 अगस्त, 2019 को लिए गए फैसले असंवैधानिक थे जिनका मकसद जम्मू-कश्मीर को अधिकारों से वंचित करना और वहां के लोगों की मूल पहचान को चुनौती देना है।’ उन राजनीतिक दलों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘हम लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारी साभी राजनीतिक गतिविधियां 4 अगस्त, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के प्राप्त दर्जे की वापसी की राह में होंगी।’