Up Kiran, Digital Desk: महाराष्ट्र के मेलघाट से एक बहुत ही दुखद और चिंताजनक ख़बर सामने आई है। मुंबई हाई कोर्ट में दायर की गई एक रिपोर्ट ने सबका ध्यान खींचा है, जिसमें बताया गया है कि पिछले कुछ महीनों में, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण और संबंधित बीमारियों के कारण कम से कम 65 बच्चों ने अपनी जान गंवा दी है। यह आँकड़ा वाकई दिल दहला देने वाला है, खासकर जब ऐसी मौतों को रोका जा सकता था। कोर्ट ने इस मामले पर महाराष्ट्र सरकार के 'संवेदनहीन रवैये' पर गहरी नाराज़गी और अफ़सोस ज़ाहिर किया है।
ये हैरान करने वाली जानकारी बॉम्बे हाई कोर्ट को न्यायमित्र (Amicus Curiae) और बाल अधिकार पैनल द्वारा दी गई एक रिपोर्ट में पेश की गई है। इस रिपोर्ट ने उन आदिवासी समुदायों की ख़स्ता हालत को सामने ला दिया है, जहाँ पोषण की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव एक गंभीर समस्या बनी हुई है। कोर्ट ने इस मामले को लेकर सरकारी तंत्र पर कड़ी टिप्पणियाँ करते हुए पूछा कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर हुई मौतों की ज़िम्मेदारी किसकी है और सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर इतनी निष्क्रिय क्यों है।
न्यायमूर्ति अभय आहूजा और जी.एस. कुलकर्णी की पीठ ने इस स्थिति पर अपनी निराशा ज़ाहिर करते हुए कहा कि, मेलघाट जैसे क्षेत्रों में ये मौतें दर्शाती हैं कि स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ी योजनाओं को सही ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। बाल अधिकार पैनल की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता संजीव प्रकाश ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध होने के बावजूद, उन तक पहुँच बहुत मुश्किल है, और कई बार स्वास्थ्यकर्मी भी दुर्गम क्षेत्रों में अपनी ज़िम्मेदारी सही से नहीं निभा पाते। हाईकोर्ट ने इस पर तत्काल ध्यान देने और इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक ठोस योजना बनाने के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में ऐसे मासूमों की जानें बचाई जा सकें। यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिर इतने साल बाद भी हमारे देश में कुपोषण जैसी समस्या से मुक्ति क्यों नहीं मिल पाई है।
_773050599_100x75.jpg)
_719050454_100x75.jpg)
_866384291_100x75.jpg)
_1748035850_100x75.jpg)
_1229418000_100x75.jpg)