_646940143.png)
Up Kiran, Digital Desk: भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी और उसकी जापानी पैरेंट कंपनी सुजुकी मोटर ने अगले पाँच से छह वर्षों में भारत में 70 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने का ऐलान किया है। यह घोषणा कंपनी के पहले फुली-इलेक्ट्रिक मॉडल eVitara के लॉन्च मौके पर की गई, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे।
भारत बनेगा वैश्विक एक्सपोर्ट हब
कंपनी के ग्लोबल प्रेसिडेंट टोशीहिरो सुजुकी ने कहा कि गुजरात का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट आने वाले समय में दुनिया के सबसे बड़े ऑटो हब्स में गिना जाएगा। इस प्लांट की सालाना क्षमता 10 लाख यूनिट तक बढ़ाई जाएगी। सबसे खास बात यह है कि eVitara की मैन्युफैक्चरिंग केवल भारत से होगी और इसे जापान व यूरोप सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाएगा।
उनके मुताबिक, “हमने गुजरात में बने इस मॉडल को पूरी दुनिया के लिए तैयार करने का फैसला किया है। यह ‘मेड इन इंडिया’ बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल वैश्विक बाजारों में भारत की क्षमताओं को साबित करेगा।”
बैटरी के मामले में चुनौती
हालांकि कंपनी ने इलेक्ट्रिक कारों के लिए देश की पहली लोकलाइज्ड लिथियम-आयन बैटरी और सेल का उत्पादन शुरू किया है, जिसका उपयोग उनके हाइब्रिड मॉडल्स में होगा। इसके बावजूद ईवी सेक्टर की सबसे बड़ी अड़चन बनी हुई है – बड़ी बैटरियों का स्थानीय निर्माण।
मारुति सुजुकी के नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने कहा कि भारत में अभी कोई भी कंपनी बैटरी सेल का मैन्युफैक्चरिंग नहीं करती। यह बिजनेस बहुत पूंजी-गहन है और जरूरी कच्चा माल, यानी लिथियम, देश में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में या तो कंपनियों को चीन जैसी सप्लाई चेन पर निर्भर रहना होगा या फिर साझेदारी करनी होगी, जहां विदेशी कंपनियां बहुमत हिस्सेदारी लेती हैं।
eVitara भारत क्यों नहीं, पहले विदेश क्यों?
eVitara को सबसे पहले जापान और यूरोप जैसे विकसित बाजारों में लॉन्च किया जाएगा। भारत में इसकी एंट्री थोड़ी देरी से होगी। वजह है बैटरियों की आपूर्ति को लेकर असमंजस। जब तक लोकल लेवल पर बैटरी उत्पादन बड़े स्तर पर नहीं शुरू होता, तब तक कंपनी के लिए तय समय पर भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर कारें लॉन्च करना मुश्किल होगा।
हरित तकनीक पर फोकस
कंपनी के प्रेसिडेंट ने साफ किया कि सुजुकी का फोकस अब ग्रीन टेक्नॉलजी और सस्टेनेबिलिटी पर है। इलेक्ट्रिक कारों के साथ-साथ हाइब्रिड और अन्य स्वच्छ तकनीक वाली नई कारें भी आने वाले वर्षों में रोलआउट की जाएंगी।
--Advertisement--