
Up Kiran, Digital Desk: देश की अर्थव्यवस्था और हर आम आदमी की जेब से सीधा जुड़ा जीएसटी (GST) सिस्टम एक बार फिर बड़े बदलावों की तैयारी में है। अभी तक अलग-अलग टैक्स स्लैब (GST slabs) को लेकर कई तरह की परेशानियाँ सामने आ रही थीं, लेकिन अब एक बड़ी अच्छी ख़बर है – विपक्ष शासित 8 राज्यों ने जीएसटी की इन टैक्स स्लैबों को घटाने के लिए केंद्र सरकार को अपना पूरा समर्थन दे दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुद इसकी पुष्टि की है।
क्या है ये टैक्स स्लैब का चक्कर और क्यों ज़रूरी है बदलाव?
जीएसटी में फिलहाल कई टैक्स स्लैब हैं (जैसे 5%, 12%, 18% और 28%)। इसका मतलब है कि अलग-अलग सामान और सेवाओं पर अलग-अलग दर से जीएसटी लगता है। इस व्यवस्था के कई नुक़सान हैं:
उलझन और हिसाब-किताब की समस्या: कारोबारियों और उपभोक्ताओं के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि किस चीज़ पर कितना टैक्स है। हिसाब-किताब भी पेचीदा हो जाता है।
फुटकर की समस्या: अक्सर ऐसा होता है कि कई उत्पाद जो एक जैसे होते हैं, उन पर अलग-अलग स्लैब लग जाती हैं, जिससे व्यापार में अड़चनें आती हैं।
दक्षता में कमी: इतनी ज़्यादा स्लैब होने से टैक्स प्रणाली की दक्षता कम हो जाती है।
कई आर्थिक विशेषज्ञ और उद्योग संगठन लंबे समय से यह मांग कर रहे थे कि इन टैक्स स्लैब की संख्या कम की जाए, ताकि जीएसटी को 'एक राष्ट्र, एक टैक्स' के अपने मूल उद्देश्य के क़रीब लाया जा सके।
विपक्षी राज्यों का समर्थन: एक बड़ी सहमति?
खास बात यह है कि आमतौर पर केंद्र के फैसलों का विरोध करने वाले विपक्ष शासित राज्यों ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान से साफ है कि 8 विपक्षी राज्यों ने जीएसटी स्लैब की संख्या कम करने के कदम का समर्थन किया है। यह दिखाता है कि यह सिर्फ़ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक अहम आर्थिक सुधार है जिस पर व्यापक सहमति बन रही है।
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