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राजस्थान से भाजपा के पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित को अदालत ने 20 साल पहले दुष्कर्म के एक केस में 10 साल कैद की सजा सुनाई है. नागौर जनपद की एडीजे कोर्ट ने उसे अपराधी मानते हुए यह सजा सुनाई। एक लाख जुर्माना भरने का भी आदेश दिया है। जुर्माने की राशि दुष्कर्म पीड़िता को देने का निर्देश दिया गया है। चौंकाने बात यह है कि जब यह फैसला सुनाया गया तो 86 वर्षीय पूर्व विधायक राजपुरोहित व्हीलचेयर पर बैठकर कोर्ट पहुंचे. अदालत ने फैसला सुनाते ही पुलिस ने राजपुरोहित को अरेस्ट कर जेल भेज दिया.

कौन हैं भंवरलाल राजपुरोहित?

भंवरलाल राजपुरोहित नागौर जिले के मकराना विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक हैं। नागौर के एडीजे कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद उसे आरोपी घोषित कर दिया। यह मामला 2002 का बताया जा रहा है। इस घटना के डेढ़ साल बाद राजपुरोहित भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए. विधायक बनने से पहले चार बार मकराना पंचायत समिति के अध्यक्ष पद पर भी रहे। मगर अब इस उम्र में उन्हें सजा होने के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं.

आख़िर मामला क्या है?

मानाना गांव में रहने वाली 22 वर्षीय एक महिला ने 1 मई 2002 को अपने साथ हुए उत्पीड़न की लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत के अनुसार 29 अप्रैल 2002 को दोपहर करीब तीन बजे वह भंवरलाल राजपुरोहित के कुएं पर गई थी। भंवरलाल की पत्नी उस दिन घर पर नहीं थी। कुएं पर जाकर भंवरलाल ने पीड़िता को अपने घर बुलाया। पीड़िता का पति मुंबई में रहता था। पीड़िता का इल्जाम था कि घर में ले जाकर उसके साथ यह कहकर दुष्कर्म किया कि वह तुम्हारे पति से बात करेगी। इसके बाद पीड़िता ने कोर्ट में परिवाद दायर किया। शिकायत के बाद कोर्ट ने पुलिस को मामले का संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने का आदेश दिया।

रेप के बाद पीड़िता गर्भवती

राजस्थान की मीडिया के अनुसार, उक्त पीड़िता प्रताड़ना के बाद गर्भवती हो गई थी. जिससे उसे गर्भपात कराना पड़ा। पुलिस ने शुरू में मामले को हल्के में लिया। अत्याचार के बाद डेढ़ साल के भीतर भंवरलाल विधायक बन गए। इसलिए मामले की जांच ठंडी पड़ी थी। वक्त के साथ पुलिस ने केस की फाइल भी बंद कर दी। हालांकि, विपक्ष द्वारा इसका राजनीतिक फायदा उठाने के बाद मामला गरमा गया। बीस साल तक यह मुकदमा मकराना के दरबार में चलता रहा। अदालत ने कई गवाहों के बयान और बयान दर्ज होने के बाद भंवरलाल को सजा सुनाई।

रेप के बाद चुप रहने के लिए उसने 500 रुपये दिए

भंवरलाल ने उक्त पीड़िता को गाली देने के बाद 500 रुपये देकर चुप रहने को कहा था। मगर पीड़िता ने रुपए वहीं फेंक दिए। राजस्थान के अखबारों ने खबर दी है कि महिला ने भंवरलाल को सबक सिखाने की ठान ली थी। पुलिस ने भंवरलाल के राजनीतिक और सामाजिक वजन को देखकर कार्रवाई करने में देरी की। मगर 21 फरवरी 2006 को कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को आगे की कार्रवाई करनी पड़ी।

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