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Up Kiran, Digital Desk: जहाँ एक ओर बकरीद की सुबह हरिद्वार की गलियों में नमाज के बाद की मिठास और भाईचारे की फिज़ा बह रही थी, वहीं मोहल्ला पठानपुरा की एक तंग सी गली में, चंद मिनटों में वह फिज़ा चीखों और खून से लथपथ सन्नाटे में बदल गई। यह सिर्फ हत्या नहीं थी, यह इंसान के भीतर सालों से उबल रही नफ़रत का वो विस्फोट था, जिसने एक पूरे समुदाय को दहला दिया।
नमाज के बाद लौटते वक्त, एक किशोर की नृशंस हत्या
17 वर्षीय साहिल, उजले कुर्ते-पाजामे में, सिर पर टोपी सजाए, बकरीद की नमाज अदा करके जैसे ही घर लौटा था, वह मोहल्ले के कुछ दोस्तों से मिलने के इरादे से निकला। सुबह के करीब 10 बज रहे थे आसमान में हल्की धूप फैली थी, गली में बच्चे नये कपड़ों में खेल रहे थे और बुजुर्ग एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दे रहे थे।
उसी वक्त, एक मोटरसाइकिल पर बैठा व्यक्ति गली के मोड़ पर आकर रुका। चेहरे पर न नफ़रत की आंच थी, न कोई हड़बड़ाहट। वो था रियासत, मोहल्ले का ही एक अधेड़, जिसकी आँखों में आज सिर्फ एक चेहरा तैर रहा था साहिल का।
जैसे ही साहिल घर से बाहर निकला, रियासत ने बिना एक पल की देरी किए अपनी कमर से चाकू निकाला और साहिल के पेट में वार कर दिया। युवक चीखते हुए ज़मीन पर गिरा, लोगों की ओर देख मदद के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन अगले ही पल रियासत ने उसके गले पर वार कर दिया इतना गहरा, कि आवाज तक दब गई। खून से सनी सड़क पर साहिल की निःशब्द देह, कुछ ही क्षणों में निस्तेज हो गई।
बेटे की मौत का बदला बना नरसंहार
पुलिस जांच में सामने आया कि यह हत्या कोई आवेग में लिया गया निर्णय नहीं था, बल्कि साल भर पुरानी एक रंजिश की ठंडी साजिश थी।
दरअसल, पिछले वर्ष बकरीद के अगले दिन रियासत का नाबालिग बेटा गंगनहर में डूब गया था। उस हादसे में मोहल्ले के तीन किशोर जिनमें साहिल भी था साथ गए थे। पुलिस और स्थानीय लोगों की मानें तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना थी। लेकिन रियासत के दिल में इस हादसे ने गहरा ज़हर भर दिया। उसे विश्वास था कि उसके बेटे की मौत में साहिल की वजह से हुई है। उसने ये विश्वास अपने भीतर सालों तक पकाया, और फिर उसी बकरीद के दिन जब खुदा से इंसान की सबसे बड़ी माफी और मेल के लिए दुआ की जाती है उसने खून से बदला लेने का फैसला किया।
थाने पहुंचकर खुद किया सरेंडर
हत्या को अंजाम देने के बाद रियासत ने भागने की कोशिश नहीं की। वह सीधा थाने पहुंचा और खुद को पुलिस के हवाले कर दिया।
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