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Up Kiran, Digital Desk: रामचरितमानस के सुंदरकांड में भगवान हनुमान की वीरता, भक्ति और श्रीराम के प्रति उनके अटूट प्रेम का अद्भुत वर्णन मिलता है। इसी क्रम में एक विशेष चौपाई है - "जब लगी आवऊं सीठी देखी होईहि काजु मोहि हर्ष बिसेसी का।" यह चौपाई हनुमानजी की उस मनोदशा को दर्शाती है जब वे लंका की ओर बढ़ते हैं या वहां पहुंचकर अपने कार्य की सफलता को लेकर आशान्वित होते हैं।

इस प्रसंग का गहन अर्थ यह है कि हनुमानजी को अपने आराध्य श्रीराम पर पूर्ण विश्वास है कि उनके द्वारा उठाए गए हर कदम का परिणाम निश्चित रूप से सफल होगा। जब वे अपनी यात्रा के दौरान या लंका में किसी विशेष स्थिति को देखते हैं, तो उन्हें इस बात का अहसास होता है कि उनका कार्य (रामकाज) अवश्य पूरा होगा। 

इसी विश्वास से उन्हें विशेष प्रसन्नता और हर्ष होता है। यह चौपाई केवल हनुमानजी की भावनाएं ही नहीं व्यक्त करती, बल्कि भक्तों को भी यह सिखाती है कि यदि आप अपने कार्यों को ईश्वर को समर्पित कर दें और उन पर पूर्ण विश्वास रखें, तो आपको भी ऐसी ही आंतरिक प्रसन्नता और सफलता की अनुभूति होगी। यह प्रसंग हमें यह भी बताता है कि ईश्वर में आस्था रखने से किसी भी कठिन परिस्थिति में धैर्य और सकारात्मकता बनाए रखने की शक्ति मिलती है।

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