Up Kiran, Digital Desk: तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर के बाहरी इलाकों में हाथियों और इंसानों के बीच बढ़ता टकराव एक गंभीर समस्या बन चुका है। अक्सर रात के अंधेरे में हाथियों के झुंड खाने-पानी की तलाश में रिहायशी इलाकों और खेतों में घुस आते हैं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है। लेकिन अब इस खतरनाक समस्या से निपटने के लिए वन विभाग ने टेक्नोलॉजी का एक बेहद आधुनिक हथियार इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
कोयंबटूर वन विभाग अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस थर्मल कैमरों का सहारा ले रहा है। ये सिर्फ साधारण सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं, बल्कि ये रात के घने अंधेरे में भी जानवरों की हर हरकत पर नज़र रख सकते हैं।
कैसे काम करती है यह अनोखी टेक्नोलॉजी?
AI का दिमाग: इन कैमरों का सबसे खास हिस्सा है इनका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। ये AI सॉफ्टवेयर इंसान और हाथियों की तस्वीरों को पहचानने के लिए पहले से ट्रेंड है। जैसे ही कोई हाथी कैमरे की रेंज में आता है, यह AI तुरंत पहचान लेता है कि यह एक हाथी है, कोई और जानवर या इंसान नहीं।
तुरंत बजेगा अलार्म: हाथी की पहचान होते ही, यह सिस्टम फौरन वन विभाग के कंट्रोल रूम में और इलाके के फॉरेस्ट गार्ड्स के मोबाइल फोन पर एक रियल-टाइम अलर्ट भेज देता है। इस अलर्ट के साथ हाथी की तस्वीर और उसकी लोकेशन भी भेजी जाती है।
कहाँ लगाए जा रहे हैं ये कैमरे?
इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में, यह सिस्टम थडागम (Thadagam) इलाके में लगाया जा रहा है, जो हाथियों की आवाजाही के लिए सबसे ज़्यादा संवेदनशील माना जाता है। जिला वन अधिकारी एन. जयराज का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी का मुख्य मकसद हाथियों के रिहायशी इलाकों में घुसने से पहले ही उनका पता लगा लेना है, ताकि समय रहते बचाव के कदम उठाए जा सकें।
इस एडवांस सिस्टम से न सिर्फ इंसानों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि हाथियों को भी किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जा सकेगा। यह तकनीक इंसानों और जंगली जानवरों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाने की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है।
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