बिहार की राजनीति में हमेशा से ही कुछ न कुछ ऐसा होता है जो सबको चौंका देता है। इस बार, बॉलीवुड की चकाचौंध को छोड़कर एक नई नेता चुनावी मैदान में उतरी हैं, और उनका मुद्दा ऐसा है जो सीधे बिहार के लोगों के दिलों से जुड़ा है - दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत।
मुंबई में मॉडलिंग और एक्टिंग की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहीं दिव्या गौतम अब अपने गृह राज्य बिहार लौट आई हैं, और उनका लक्ष्य है पटना साहिब लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना। लेकिन वह सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं हैं; वह खुद को 'सुशांत सिंह राजपूत की विरासत' को आगे बढ़ाने वाली नेता के रूप में पेश कर रही हैं।
'सुशांत को न्याय दिलाना' है चुनावी एजेंडा
दिव्या का कहना है कि सुशांत की मौत ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था। उन्हें लगता है कि बिहार की एक महान प्रतिभा के साथ न्याय नहीं हुआ, और अब वह उसी न्याय की लड़ाई को राजनीति के जरिए लड़ना चाहती हैं। उन्होंने 'सुशांत न्याय और जन कल्याण' नाम से एक फाउंडेशन भी शुरू किया है और वह अपनी चुनावी मुहिम को इसी के इर्द-गिर्द केंद्रित कर रही हैं।
उनका मानना है कि सुशांत सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि बिहार के हर उस युवा के लिए एक उम्मीद थे जो छोटे शहर से निकलकर बड़े सपने देखता है। दिव्या कहती हैं, "मैं सुशांत की लड़ाई को आगे ले जाना चाहती हूं। मैं बिहार के युवाओं के लिए वही मौके बनाना चाहती हूं जिनका सपना सुशांत ने देखा था।"
क्या काम करेगा यह भावनात्मक दांव?
राजनीति के जानकार मानते हैं कि दिव्या गौतम का यह कदम एक बड़ा भावनात्मक दांव है। सुशांत सिंह राजपूत आज भी बिहार में लोगों के दिलों में बसते हैं और उनके नाम का असर होना लाजमी है। हालांकि, राजनीति सिर्फ भावनाओं से नहीं चलती। पटना साहिब जैसी महत्वपूर्ण सीट पर, जहां पहले से ही बड़े-बड़े दिग्गज मौजूद हैं, क्या दिव्या गौतम सिर्फ सुशांत के नाम पर अपनी जगह बना पाएंगी?
यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि दिव्या के चुनाव में उतरने से पटना साहिब का मुकाबला बेहद दिलचस्प और भावनात्मक हो गया है।
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