Up Kiran, Digital Desk: निर्वाचन आयोग (ECI) ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट को सूचित किया कि तमिलनाडु में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण (SIR) एक सप्ताह के भीतर शुरू कर दिया जाएगा। यह कदम देशभर में चल रहे राष्ट्रीय मतदाता सूची अपडेट अभियान का हिस्सा है, जो 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पूरा होगा।
मद्रास हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति जी अरुलमुरुगन की पीठ के सामने निर्वाचन आयोग के स्थायी अधिवक्ता, निरंजन राजगोपालन ने कहा कि यह पुनरीक्षण प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार के मामले में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप होगी।
राजगोपालन ने अदालत को बताया कि आयोग ने देशभर के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) से परामर्श कर लिया है ताकि सभी राज्यों में समान प्रक्रिया लागू की जा सके। यह जानकारी एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान दी गई थी, जिसे पूर्व एआईएडीएमके विधायक बी. सत्यनारायणन ने दायर किया था।
सत्यनारायणन, जो 2016 से 2021 तक टी नगर विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि रहे, ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि 2021 विधानसभा चुनावों से पहले उनके क्षेत्र की मतदाता सूची में गड़बड़ियां हुईं, जिनमें हजारों नामों का गलत तरीके से विलोपन हुआ था। उनका दावा था कि इनमें से अधिकतर लोग एआईएडीएमके समर्थक थे।
सत्यनारायणन ने अदालत को बताया कि 2021 में वे डीएमके उम्मीदवार जे. करुणानिधि से केवल 137 वोटों के अंतर से हार गए थे। उनका कहना था, "इतने कम अंतर से हार और सूची में हुई गड़बड़ियों से यह स्पष्ट था कि मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताएं थीं, जिन्होंने चुनाव परिणाम को प्रभावित किया।"
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सत्यनारायणन ने यह भी दलील दी कि पिछले 25 वर्षों में क्षेत्र की जनसंख्या में भारी वृद्धि के बावजूद, मतदाताओं की संख्या में मामूली बदलाव हुआ है—1996 में यह संख्या 2,08,349 थी, जो 2021 में बढ़कर केवल 2,45,005 हुई। उन्होंने इसे "स्थिर वृद्धि" बताते हुए इसे "कानूनी और संवैधानिक चिंता" का विषय बताया।
याचिका में अदालत से मांग की गई कि टी नगर क्षेत्र के सभी 229 मतदान केंद्रों की पुनः जांच की जाए। सत्यनारायणन का आरोप था कि बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) ने बिना वास्तविक सर्वेक्षण के मतदाता सूची तैयार की, जिसके कारण डुप्लिकेट नाम, मृत व्यक्तियों और गैर-निवासियों के नाम शामिल हो गए थे, जबकि कई वैध मतदाताओं के नाम हटा दिए गए थे।
सत्यनारायणन ने दावा किया कि उन्होंने स्वयं 229 बूथों में से 100 बूथों की जांच की और भारी विसंगतियां पाईं। हालांकि, जब उन्होंने चुनाव अधिकारियों को रिपोर्ट दी, तो कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, जिससे उनके अनुसार यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति लापरवाही और निष्पक्षता को खतरे में डालने वाली स्थिति बन गई।
याचिका में एक तमिल दैनिक की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि 13,000 से अधिक एआईएडीएमके समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए थे। सत्यनारायणन ने इसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और संविधान के अनुच्छेद 326 का उल्लंघन करार दिया और कहा कि "ऐसी विसंगतियों को जारी रखना चुनावों की निष्पक्षता को खतरे में डालता है।"
निर्वाचन आयोग के वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि याचिकाकर्ता की सभी शिकायतें आगामी राज्यव्यापी मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान प्रभावी ढंग से निपटाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि आयोग इस प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और बिहार में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगा।
पीठ ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह बिहार मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति अदालत में प्रस्तुत करे। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति देते हुए सुनवाई को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया।

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