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Up Kiran, Digital Desk: 1965 की जंग का एक ऐसा राज, जिस पर आज भी बहुत बहस होती है कि जब भारतीय सेना जीत रही थी, तो अचानक युद्धविराम (Ceasefire) क्यों कर दिया गया? दशकों पुरानी इस पहेली पर से अब भारतीय वायुसेना (IAF) के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने पर्दा उठाया है। उन्होंने साफ किया है कि यह कोई मजबूरी या दबाव में लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था।

उन्होंने दो-टूक शब्दों में कहा, "हम रुके क्योंकि हम अपने लक्ष्य पूरे कर चुके थे।"

क्या था 'ऑपरेशन सिंदूर' और भारत का असली मकसद?

वायुसेना प्रमुख ने 'ऑपरेशन सिंदूर' और 1965 के युद्ध पर बात करते हुए उस समय की परिस्थितियों को समझाया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' के तहत कश्मीर में घुसपैठ करके अशांति फैलाने की कोशिश की थी, जिसका जवाब भारत ने बेहद आक्रामक तरीके से दिया।

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य पाकिस्तान पर कब्जा करना या उसे पूरी तरह से खत्म करना कभी नहीं था। हमारे सैन्य अभियान के कुछ खास और सीमित उद्देश्य थे:

दुश्मन को पीछे धकेलना: पाकिस्तानी सेना को भारतीय सीमाओं से खदेड़ना।

उसे कमजोर करना: उसकी सैन्य ताकत को इतना नुकसान पहुंचाना कि वह दोबारा हमला करने की हिम्मत न कर सके।

अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचना: युद्ध को लंबा खींचकर बड़े अंतरराष्ट्रीय संकट में नहीं पड़ना।

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, "उस समय की सरकार और सेना ने मिलकर यह फैसला लिया था। जब हमने देखा कि हमारे ये सभी रणनीतिक उद्देश्य हासिल हो चुके हैं, तो हमने युद्धविराम की घोषणा कर दी। इसे हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी परिपक्वता और स्पष्ट सोच का प्रतीक माना जाना चाहिए।"

“अब हालात अलग हैं”IAF चीफ ने यह भी साफ कर दिया कि 1965 और 2025 के भारत में जमीन-आसमान का फर्क है। आज भारत की सैन्य क्षमता और वैश्विक हैसियत बहुत अलग है।

उनका यह बयान न सिर्फ 1965 की जंग पर एक नई रोशनी डालता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत हमेशा से एक जिम्मेदार और आत्मविश्वासी राष्ट्र रहा है, जो अपने सैन्य अभियानों के लक्ष्य और सीमाएं खुद तय करता है।