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12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो बोइंग 787 ड्रीमलाइनर से संचालित थी, उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई, जबकि एक यात्री, विश्वास कुमार रमेश, जीवित बच गए। यह घटना भारतीय विमानन इतिहास में सबसे महंगा बीमा दावा बन सकती है, जिसमें कुल मिलाकर $120 मिलियन (लगभग ₹1,000 करोड़) तक का दावा किया जा सकता है ।
विमानन बीमा नियम और प्रक्रिया:
भारत में विमानन बीमा दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा जाता है:
1. हुल बीमा (Hull Insurance): यह विमान के क्षति या पूर्ण नष्ट होने पर होने वाले नुकसान को कवर करता है।
2. लायबिलिटी बीमा (Liability Insurance): इसमें यात्रियों की मृत्यु, चोट, या अन्य हानि के लिए एयरलाइन की जिम्मेदारी शामिल होती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत, एयरलाइन को प्रत्येक मृत यात्री के लिए लगभग $1,74,000 (लगभग ₹1.04 करोड़) तक की क्षतिपूर्ति करनी होती है । यदि यह राशि अधिक होती है, तो एयरलाइन अपनी लापरवाही साबित करके अतिरिक्त भुगतान से बच सकती है।
इस हादसे के बाद, बीमा कंपनियों को विस्तृत जांच और मूल्यांकन के बाद ही भुगतान करना होगा। यह प्रक्रिया समयसाध्य हो सकती है, और इसमें कानूनी पहलुओं का भी ध्यान रखा जाएगा।
यह घटना यह दर्शाती है कि विमानन बीमा न केवल एयरलाइन के लिए, बल्कि यात्रियों और उनके परिवारों के लिए भी महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
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