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Up Kiran, Digital Desk: आदित्य धर की फिल्म धुरंधर आजकल हर जगह चर्चा का केंद्र बनी हुई है। फिल्म में रणवीर सिंह के पात्र हमजा की तारीफ हो रही है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में अक्षय खन्ना हैं, जिन्होंने रहमान डकैत का खतरनाक रोल निभाया है। फिल्म के शेर-ए-बलोच गाने पर उनकी एंट्री का वीडियो सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है। क्या आप जानते हैं कि जो रहमान डकैत पर्दे पर दिखते हैं, असल ज़िंदगी में वे कितने खतरनाक थे? चलिए जानते हैं कराची के इस गैंगस्टर की पूरी कहानी।

लयारी: फुटबॉल के मैदान से गैंगवार तक
रहमान डकैत का जन्म कराची के लयारी क्षेत्र में हुआ था। एक समय था जब लयारी अपने उत्कृष्ट फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए मशहूर था, लेकिन 90 के दशक में यहाँ खेलों की जगह मादक पदार्थों और हथियारों ने ले ली। पहले यहां बाबू डकैत यानी इकबाल का दबदबा था, जो एक पढ़ा-लिखा गैंगस्टर था। इकबाल की मौत के बाद उस खालीपन को भरने के लिए उभरा रहमान बलोच, उर्फ रहमान डकैत।

13 साल में मां का मर्डर: खौफ की शुरुआत
रहमान डकैत का निर्दयता से भरा इतिहास बचपन से ही शुरू हो गया था। केवल 13 साल की उम्र में उसने अपनी मां की हत्या कर दी और उनका शव पंखे से लटका दिया। उसे शक था कि उसकी मां का किसी और के साथ अफेयर था। इस घटना के बाद पूरे इलाके में उसका खौफ इतना बढ़ा कि लोग कहते थे, "जो अपनी मां का नहीं हुआ वह किसी का नहीं हो सकता।"

अपराधी या नायक? विरोधाभासों से भरी ज़िंदगी
रहमान डकैत के व्यक्तित्व में दो पहलू थे, जिसने उसे 'रॉबिन हुड' जैसा रूप दिया। कई लोग उसे भगवान मानते थे क्योंकि वह गरीब लड़कियों की शादियां कराता था और गरीबों का इलाज मुफ्त में करवाता था। उसके इलाके में चोरी और खुलेआम नशीली दवाइयों की बिक्री पर सख्त रोक थी। नियम तोड़ने वाले को वह मौत की सजा देता था। 2007 में कराची एयरपोर्ट पर हुए धमाके के बाद रहमान डकैत ने खुद अपनी गाड़ी से बेनजीर भुट्टो को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया।

दुश्मनी और खूनी संघर्ष: रहमान बनाम अरशद पप्पू
जैसे-जैसे रहमान ताकतवर होता गया, उसके दुश्मन भी बढ़ते गए। उसका सबसे बड़ा दुश्मन अरशद पप्पू (हाजी लालू का बेटा) था। दुश्मनी इस हद तक बढ़ गई कि अरशद पप्पू ने कब्रिस्तान में जाकर रहमान के पिता की कब्र तोड़ी और उसके चाचा को खुलेआम गोलियों से मार दिया।

अंतिम संघर्ष: SP चौधरी असलम का ऑपरेशन
रहमान डकैत के आतंक को खत्म करने का जिम्मा पाकिस्तान के बहादुर पुलिस अधिकारी SP चौधरी असलम को सौंपा गया। 2006 में चौधरी असलम ने रहमान को पकड़कर जेल भेजा, लेकिन वह 5 करोड़ रुपये की रिश्वत देकर बाहर आ गया। आखिरकार, 2009 में चौधरी असलम का मिशन सफल हुआ। एक 5 घंटे लंबे गुप्त ऑपरेशन के बाद रहमान डकैत का एनकाउंटर कर दिया गया और लयारी के एक खौफनाक अध्याय का अंत हुआ।