Up Kiran, Digital Desk: बेमौसम बारिश और चक्रवाती तूफान 'मोंथा' ने तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले में किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश और तेज हवाओं ने उनकी महीनों की मेहनत और उम्मीदों को मिट्टी में मिला दिया है। खेतों में कटाई के लिए तैयार खड़ी धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जिससे हजारों किसान अब बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं।
जिले के कृषि अधिकारियों द्वारा किए गए एक शुरुआती सर्वे के मुताबिक, लगभग 475 एकड़ में धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, किसानों का कहना है कि असली नुकसान इससे कहीं ज्यादा है और यह आंकड़ा हजारों एकड़ तक जा सकता है।
पूरा पैसा पानी में डूब गया
सबसे ज्यादा तबाही इब्राहिमपटनम, मंचल और याचाराम मंडलों में देखने को मिल रही है। यहां के किसानों का दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। एक किसान ने रोते हुए बताया, "इस बार अच्छी बारिश हुई थी तो उम्मीद थी कि फसल अच्छी होगी और सारा कर्ज उतर जाएगा। एक एकड़ पर 40,000 रुपये से ज्यादा का खर्चा किया था। फसल कटाई के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन अचानक आई इस बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया। पूरी की पूरी फसल पानी में डूबकर सड़ गई है।"
हालत यह है कि खेतों में खड़ी धान की बालियां बारिश के कारण काली पड़ गई हैं और कई खेतों में तो पौधे जड़ से उखड़कर पानी में बह गए हैं।
नमी की मार, कैसे बिकेगा धान?
जो किसान किसी तरह अपनी भीगी हुई फसल को बचाकर मार्केट तक ले भी जा रहे हैं, उन्हें वहां एक और बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। धान में नमी (गीलापन) ज्यादा होने के कारण न तो सरकारी खरीद केंद्रों पर उसे खरीदा जा रहा है और न ही व्यापारी सही दाम दे रहे हैं।
सरकार ने धान में 17% तक नमी की सीमा तय की है, लेकिन लगातार बारिश के कारण धान में नमी 22% से भी ज्यादा है। ऐसे में किसान पूरी तरह से लाचार हैं। वे अपनी बर्बाद फसल को न तो बेच पा रहे हैं और न ही उसे घर ले जा सकते हैं।
अब बस सरकार से ही है आखिरी उम्मीद
इस मुश्किल घड़ी में, किसानों की आखिरी उम्मीद अब सिर्फ सरकार से है। किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार को उदारता दिखानी चाहिए और भीगे हुए धान को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदना चाहिए। साथ ही, वे मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने नुकसान की थोड़ी-बहुत भरपाई कर सकें और अगली फसल के लिए फिर से हिम्मत जुटा सकें।
इस चक्रवाती तूफान ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि हमारे देश का किसान प्रकृति की मार के आगे कितना बेबस है। अब देखना यह है कि सरकार उनकी इस पुकार को कब सुनती है।


_402131688_100x75.png)
_962481182_100x75.png)
