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देश में लोकसभा इलेक्शन का बिगुल बज गया है। सभी दल जोरो शोरों से इलेक्शन की तैयारियों में जुटी हुई है। ऐसे में शनिवार 16 मार्च को 03:00 बजे चुनाव आयोग चुनावी तारीखों का ऐलान करेगा।

चुनावी तारीखों का ऐलान होते ही देश में काफी कुछ बदल जाएगा। इसी के साथ ही चुनाव आयोग की पावर भी बढ़ जाएगी और किसी भी राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं बल्कि चुनाव आयोग की मंजूरी के साथ ही काम करना होगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि चुनावी तारीखों के ऐलान होते ही क्या कुछ देश में बदल जाएगा।

बदल जाएंगी ये चीजें

आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाए हैं। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों के लिए जरूरी होता है। वहीं आचार संहिता चुनाव के परिणाम आने तक लागू रहती है। चुनावी प्रक्रिया पूरी होते ही आचार संहिता भी हट जाती है।

वहीं देश में आज आचार संहिता लागू होते ही कई चीजें बदल जाएंगी। कुछ कामों की मनाही होगी तो कुछ काम जारी रहेंगे। पहली ये कि आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार किसी भी नई योजना की घोषणा या फिर शिलान्यास नहीं करेगी। मगर पहले से जो सरकारी योजना पर काम शुरू हो गया है वो आचार संहिता लागू होने के बाद भी जारी रहेगा। केवल सरकारी अधिकारी ही शिलान्यास या किसी भी प्रकार की योजना और परियोजना को शुरू कर सकता है।

सरकार से छिन जाता है ये अधिकार!

धारा 144 के दौरान किसी भी सरकारी अफसर कर्मचारी की ट्रांसफर पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है। ट्रांसफर करना बहुत जरूरी है। तब भी सरकार बिना चुनाव आयोग की सहमति के ये निर्णय नहीं ले सकती है। पार्टी की रैली निकालने के लिए प्रत्याशी को इसकी जानकारी थाने में देनी होगी। जनसभा और स्थान की जानकारी भी पुलिस अफसरों को देनी होती है।

पार्टियां अपने विज्ञापन के लिए सरकारी खर्च का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। इसके साथ ही आम आदमी पर भी आचार संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी। यदि वह किसी नेता का प्रचार करता है तो उस पर आचार संहिता के तहत कार्रवाई होगी। इसलिए आम जनता को भी इन नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा। आपको ये भी बता दे कि अगर कोई भी राजनीतिक दल या उसका प्रत्याशी आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसके प्रचार करने पर रोक लगाई जा सकती है। उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। यही नहीं जरूरत पड़ने पर प्रत्याशी के विरूद्ध अपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है और जेल जाने तक का भी प्रावधान है। 

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