
Up Kiran, Digital Desk: भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर अजय सूद ने हाल ही में नीति निर्माण प्रक्रिया में डेटा और प्रौद्योगिकी के बढ़ते महत्व पर ज़ोर दिया है। उनका कहना है कि प्रभावी और सटीक नीतियां बनाने के लिए पारंपरिक डेटा स्रोतों के अलावा वैकल्पिक डेटा स्रोतों और अग्रणी तकनीकों का उपयोग बेहद महत्वपूर्ण है।
प्रोफेसर सूद के अनुसार, आज के जटिल और तेज़ी से बदलते दौर में केवल पारंपरिक डेटा पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। वैकल्पिक डेटा स्रोत, जैसे कि सैटेलाइट इमेजरी, सेंसर डेटा, सोशल मीडिया डेटा और अन्य गैर-पारंपरिक माध्यमों से प्राप्त जानकारी, नीति निर्माताओं को ज़मीनी हकीकत की अधिक तेज़ी से और बारीक जानकारी प्रदान कर सकती है।
उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इन विशाल और विविध डेटासेट को संसाधित करने (process) और उनसे उपयोगी अंतर्दृष्टि निकालने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML), बिग डेटा एनालिटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी अग्रणी तकनीकों का उपयोग अनिवार्य है।
ये तकनीकें डेटा में छिपे पैटर्न को समझने, भविष्यवाणियां करने और जटिल समस्याओं के लिए अधिक लक्षित और प्रभावी समाधान खोजने में मदद करती हैं। प्रोफेसर सूद का मानना है कि इन उपकरणों को नीति निर्माण प्रक्रिया में एकीकृत करके, सरकारें अधिक सूचित निर्णय ले सकती हैं, संसाधनों का बेहतर आवंटन कर सकती हैं और नागरिकों के लिए बेहतर परिणाम सुनिश्चित कर सकती हैं।
आधुनिक नीति निर्माण को डेटा-संचालित होना चाहिए, और इसके लिए वैकल्पिक डेटा स्रोतों और अग्रणी तकनीकों को अपनाना आज के समय की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
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