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Up Kiran, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर की ऊँचाइयों पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर तक जाने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा इन दिनों पूरे जोरों पर है। श्रद्धालुओं की आस्था के इस अद्भुत संगम को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाए रखने के लिए भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन शिवा' नामक एक विशेष सुरक्षा मिशन की शुरुआत की है। यह पहल न केवल आतंकी खतरे से सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य, आपातकालीन सहायता और संचार व्यवस्था तक का समग्र ख्याल रखती है।
8,500 सैनिक तैनात, तीर्थपथ पर चप्पे-चप्पे पर पहरा
तीर्थयात्रा के दो प्रमुख मार्ग — अनंतनाग के पारंपरिक नुनवान-पहलगाम (48 किमी) और गंदेरबल के बालटाल (14 किमी) — पर लगातार गश्त और निगरानी का कड़ा बंदोबस्त किया गया है। सेना ने नागरिक प्रशासन और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के साथ मिलकर 8,500 से अधिक जवानों को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया है, ताकि कोई भी संभावित खतरा समय रहते निष्क्रिय किया जा सके।
'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में आतंक रोधी मजबूत कवच
पाकिस्तान प्रायोजित छद्म हमलों की बढ़ती आशंका को ध्यान में रखते हुए, सेना ने एक बहु-स्तरीय आतंकवाद-रोधी ढांचा खड़ा किया है। इसमें 50 से अधिक एंटी-ड्रोन सिस्टम (C-UAS), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ, और ड्रोन द्वारा रियल-टाइम निगरानी की व्यवस्था शामिल है। साथ ही, हाई-रेज़ोल्यूशन पीटीजेड कैमरों की मदद से गुफा मंदिर और रास्तों की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के साथ-साथ कल्याण भी प्राथमिकता
सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ सेना ने तीर्थयात्रियों की सुविधा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी विशेष ध्यान दिया है। 150 से अधिक डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ, नौ चिकित्सा सहायता केंद्र, दो एडवांस ड्रेसिंग स्टेशन, 100-बेड वाला अस्पताल और 26 ऑक्सीजन बूथों में 2 लाख लीटर ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है।
आपातकालीन स्थिति में भोजन, संचार और यातायात से जुड़ी सुविधाएं भी पहले से मौजूद हैं — जिनमें 25,000 लोगों के लिए आपातकालीन राशन, बम-निरोधक दल, तकनीकी सहायता टीमें और भारी मशीनरी (बुलडोजर, जेसीबी आदि) शामिल हैं।
हेलीकॉप्टर, क्यूआरटी और टेंट सिटी: हर पहलू पर चौकसी
किसी भी आकस्मिक हालात से निपटने के लिए सेना के हेलीकॉप्टर स्टैंडबाय पर हैं। साथ ही, त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी), सिग्नल यूनिट्स और जल सेवा केंद्रों को रणनीतिक स्थलों पर तैनात किया गया है। मार्ग में अस्थायी टेंट शहर और विश्राम स्थल भी स्थापित किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को रास्ते में किसी प्रकार की असुविधा न हो।
डिजिटल ट्रैकिंग से लेकर इंसानी सहयोग तक — आधुनिक तकनीक का उपयोग
इस वर्ष यात्रा मार्गों पर काफिलों की लाइव ट्रैकिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे सुरक्षा बलों को प्रत्येक स्थिति की सटीक जानकारी मिल सके और आवश्यक कार्रवाई तुरंत की जा सके। इस तकनीकी सुविधा के चलते किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तत्काल नज़र रखी जा सकती है।
श्रद्धालुओं की आस्था के लिए सेना का अडिग संकल्प
सेना की यह मुहिम केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस भरोसे और सेवा भावना को भी दर्शाती है, जो देश की रक्षा में तैनात जवानों की विशेषता है। अब तक 1.4 लाख से अधिक श्रद्धालु अमरनाथ गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन कर चुके हैं, जबकि 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है।