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Up kiran,Digital Desk : आज पूरा देश और बॉलीवुड शोक में है। हमारे चहेते 'ही-मैन' और सबकी जान धर्मेंद्र 89 वर्ष की आयु में हम सबको छोड़कर चले गए। वो लंबे समय से बीमार थे, लेकिन उनकी जिंदादिली आखिरी वक्त तक कायम थी। आज जब वो हमारे बीच नहीं हैं, तो उनकी सुनहरी यादें और फ़िल्मी किस्से ही हमारे पास बचे हैं।

साल 1975 में आई उनकी फिल्म 'शोले' को 50 साल हो चुके हैं, लेकिन 'वीरू' का किरदार आज भी बच्चा-बच्चा जानता है। इस दुखद घड़ी में, आइए आपको उस फिल्म से जुड़ा एक ऐसा मजेदार किस्सा बताते हैं, जो शायद ही आप जानते हों। क्या आपको पता है कि अगर रमेश सिप्पी ने एक "धमकी" न दी होती, तो धर्मेंद्र उस फिल्म में हीरो नहीं, बल्कि विलेन होते?

जब सब बनना चाहते थे 'गब्बर सिंह'

आज हम गब्बर के रोल में अमजद खान के अलावा किसी को सोच भी नहीं सकते, लेकिन उस वक्त हर बड़ा हीरो गब्बर बनना चाहता था। फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि अमिताभ बच्चन खुद को 'जय' के बजाय 'गब्बर' के रोल में देखना चाहते थे। यही नहीं, संजीव कुमार (ठाकुर) को भी विलेन का रोल अट्रैक्ट कर रहा था।

कहानी में असली ट्विस्ट तब आया जब धर्मेंद्र ने भी कह दिया कि उन्हें ठाकुर या गब्बर का रोल दे दिया जाए। उन्हें लगा कि गब्बर का रोल बहुत रंगीन है और ठाकुर का किरदार पूरी कहानी का आधार है।

हेमा मालिनी का नाम सुनकर बदल गया फैसला

रमेश सिप्पी बहुत चतुर डायरेक्टर थे। उन्हें पता था कि उस वक्त धर्मेंद्र और हेमा मालिनी का रोमांस परवान चढ़ रहा था। उन्होंने धर्मेंद्र को साइड में लिया और मुस्कुराते हुए कहा, "धरम जी, आप गब्बर या ठाकुर, जो चाहे वो रोल कर सकते हैं। मुझे दिक्कत नहीं है। लेकिन, अगर आप गब्बर बने, तो फिर हेमा मालिनी (बसंती) आपको नहीं मिलेंगी। वो सीन फिर किसी और हीरो के हिस्से में आएंगे।"

हेमा मालिनी का नाम सुनते ही धर्मेंद्र का इरादा बदल गया। 'बसंती' के साथ रोमांस करने का मौका वो कैसे छोड़ सकते थे? बस फिर क्या था, उन्होंने तुरंत गब्बर बनने का ख्याला छोड़ दिया और वीरू बन गए। और इस तरह हमें पानी की टंकी वाला वो आइकॉनिक सीन देखने को मिला।

हेमा भी नहीं बनना चाहती थीं 'बसंती'

सिप्पी ने एक और राज खोला कि शुरुआत में हेमा मालिनी भी इस फिल्म को लेकर असमंजस में थीं। उन्हें लगा कि एक मल्टी-स्टारर फिल्म में उनका रोल दब जाएगा। लेकिन रमेश सिप्पी ने उन्हें समझाया, "भले ही फिल्म लड़कों की कहानी हो, लेकिन तुम्हारा किरदार (बसंती) सबसे यादगार होगा।" और वाकई, कांच पर नाचने वाले उस सीन और तांगेवाली के अंदाज ने इतिहास रच दिया।

असली प्यार ने डाला परदे पर तड़का

जब डायरेक्टर से पूछा गया कि क्या अमिताभ-जया और धर्मेंद्र-हेमा के रियल लाइफ प्यार ने फिल्म को फायदा पहुँचाया? तो उन्होंने कहा कि ये सब मंझे हुए कलाकार थे, ये वैसे भी अच्छा काम करते। लेकिन हाँ, असली जज्बातों ने फिल्म में "तड़का" जरूर लगा दिया। जया बच्चन का वो खामोश प्यार और धर्मेंद्र की वो शरारत... ये सब कहीं न कहीं असल जिंदगी का ही आईना थे।

धर्मेंद्र जी आज भले ही चले गए, लेकिन उनकी ये कहानियां उन्हें हमेशा अमर रखेंगी।