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Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश राज्य में एक चिंताजनक स्वास्थ्य आंकड़ा सामने आया है।  राज्य की लगभग 38% आबादी फैटी लिवर की समस्या या उससे जुड़े जोखिम का सामना कर रही है। यह संख्या दर्शाती है कि फैटी लिवर, जिसे अक्सर नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के नाम से जाना जाता है, आंध्र प्रदेश में एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन गई है।

फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जहाँ लिवर कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। यह अक्सर गलत जीवनशैली, असंतुलित आहार, मोटापे, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी स्थितियों से जुड़ा होता है। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह लिवर की गंभीर बीमारियों, जैसे फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहाँ तक कि लिवर कैंसर का कारण बन सकता है।

38% का आंकड़ा इस बात पर ज़ोर देता है कि यह समस्या अब कुछ ही लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य की एक बड़ी आबादी इसकी चपेट में आ सकती है। यह स्थिति न केवल व्यक्तियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बोझ डालती है।

इस खतरे से निपटने के लिए तत्काल और व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। लोगों में फैटी लिवर के जोखिम कारकों, लक्षणों  और रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। नियमित स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग, खासकर उच्च जोखिम वाले समूहों (जैसे मोटे लोग, मधुमेह रोगी) के लिए, समय पर निदान और प्रबंधन में मदद कर सकती है।

स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना - जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और वज़न नियंत्रण शामिल है - फैटी लिवर को रोकने और प्रबंधित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। आंध्र प्रदेश में इस उच्च प्रसार दर को देखते हुए, इस स्वास्थ्य समस्या से निपटने के लिए एक संगठित दृष्टिकोण और जन जागरूकता अभियान अत्यंत आवश्यक हैं।

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