
Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश का प्रतिष्ठित आंध्र यूनिवर्सिटी (AU) एक बार फिर अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाने की राह पर है। कभी 'राजनीतिक गतिविधियों' का गढ़ माने जाने वाले इस विश्वविद्यालय ने हाल ही में जारी हुई NIRF रैंकिंग में शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में चौथा स्थान हासिल किया है। यह यूनिवर्सिटी के लिए एक बड़े बदलाव का संकेत है, जो कुछ महीने पहले तक कई विवादों में घिरी हुई थी।
कैसे बदला यूनिवर्सिटी का माहौल?
पांच साल पहले, विश्वविद्यालय की साख कई वजहों से गिरी थी। आरोप है कि वाईएसआरसीपी सरकार के कार्यकाल के दौरान, कैंपस का इस्तेमाल अकादमिक कामों से ज्यादा राजनीतिक सभाओं और चुनावी सर्वे के लिए होता था। छात्रों की पढ़ाई की कीमत पर अक्सर पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के स्वागत के लिए कक्षाएं तक रद्द कर दी जाती थीं। उस समय के कुलपति पीवीजीडी प्रसाद रेड्डी के नेतृत्व में फंड के दुरुपयोग और नियमों के खिलाफ जाकर नियुक्तियां करने जैसे कई गंभीर आरोप भी लगे थे।
विश्वविद्यालय में अकादमिक गुणवत्ता में गिरावट के खिलाफ छात्रों ने भी एक लंबी लड़ाई लड़ी, क्योंकि इसका सीधा असर उनके भविष्य पर पड़ रहा था।
नई सरकार, नई उम्मीद: अब एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद हालात बदलते दिख रहे हैं। अब विश्वविद्यालय में राजनीतिक कार्यक्रमों की जगह पढ़ाई-लिखाई और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। सरकार यूनिवर्सिटी में खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरने पर भी जोर दे रही है।
इसी कड़ी में, आंध्र यूनिवर्सिटी ने हाल ही में पहली बार 30 छात्रों के साथ 'क्वांटम कंप्यूटिंग' में बी.टेक प्रोग्राम शुरू किया है, जो भविष्य की तकनीक के लिए एक बड़ा कदम है।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने की सराहना
आंध्र यूनिवर्सिटी की इस शानदार रैंकिंग पर खुशी जताते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री नारा लोकेश ने कहा कि यह गर्व की बात है कि यूनिवर्सिटी ने 2024 में सातवें स्थान से सीधे चौथे स्थान पर छलांग लगाई है। उन्होंने इस बात की सराहना की कि विश्वविद्यालय राज्य में नंबर 1 सरकारी विश्वविद्यालय बनने की ओर अग्रसर है। देश के सभी विश्वविद्यालयों की समग्र श्रेणी में भी, AU पिछले साल के 25वें स्थान से सुधरकर 23वें स्थान पर पहुंच गया है।
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