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Up Kiran, Digital Desk: जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान भारत को खुलेआम परमाणु हमले की धमकी दी, तब पूरी दुनिया की नजरें वॉशिंगटन की प्रतिक्रिया पर टिकी थीं। लेकिन इसके तुरंत बाद अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने स्पष्ट किया कि अमेरिका दोनों देशों—भारत और पाकिस्तान—के साथ अपने रिश्तों को "स्थिर और सकारात्मक" मानता है।
टैमी ब्रूस ने वॉशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही। उनका कहना था कि अमेरिका भारत-पाक के बीच हाल ही में मई में हुई चार दिवसीय सैन्य झड़प को लेकर चिंतित था और उसे यह डर था कि यह टकराव बड़े संकट में बदल सकता था।
उन्होंने बताया कि उस समय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्थिति को संभालने के लिए तुरंत हस्तक्षेप किया और दोनों देशों को शांतिपूर्वक समाधान की दिशा में आगे बढ़ाया। टैमी के अनुसार, यह अमेरिका की कूटनीतिक सफलता का उदाहरण है कि एक बड़ी त्रासदी को समय रहते टाल दिया गया।
आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई का दावा
ब्रूस ने अमेरिका-पाकिस्तान के बीच आतंकवाद के मुद्दे पर चल रही वार्ताओं पर भी प्रकाश डाला और कहा कि वॉशिंगटन इस क्षेत्र को अधिक सुरक्षित और स्थिर बनाने के लिए इस्लामाबाद के साथ मिलकर काम कर रहा है। उनके अनुसार, दोनों देशों ने सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
भारत-अमेरिका व्यापार तनाव और पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकी
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर तनाव बढ़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आने वाले उत्पादों पर पहले 25% और फिर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने की घोषणा की है। इसका कारण भारत का रूस से तेल और हथियारों की खरीद बताया गया है।
इसी बीच, पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर का अमेरिका का यह दो महीनों में दूसरा दौरा है, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस यात्रा के दौरान उनके द्वारा दिए गए "आधी दुनिया को साथ लेकर डूबने" जैसे परमाणु बयान ने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चौंका दिया है।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया और वैश्विक संदेश
भारत ने इस धमकी को पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना और खतरनाक बताया है। विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा है कि भारत परमाणु धमकियों के आगे झुकेगा नहीं और ऐसी किसी भी ब्लैकमेलिंग को स्वीकार नहीं करेगा।
विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति केवल दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की स्थिरता के लिए चुनौती है। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को सामान्य बताना, भारत में कुछ चिंताएं जरूर पैदा कर सकता है, खासकर तब जब भारत वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की मांग करता रहा है।
क्या भारत को बदलनी होगी रणनीति?
इस घटनाक्रम के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या भारत को अपनी विदेश नीति में कुछ बदलाव करने की जरूरत है? क्या अमेरिका के साथ रिश्तों को संतुलित रखते हुए पाकिस्तान की हरकतों के खिलाफ और अधिक मुखर होना चाहिए? आने वाले समय में इन सवालों के जवाब भारत की राजनयिक दिशा तय करेंगे।
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