Up kiran,Digital Desk : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहचान एक ऐसे राजनेता की है, जो अपनी सादगी और ज़मीनी राजनीति के लिए जाने जाते हैं. उनकी सबसे बड़ी सियासी पूंजी यह रही है कि उन्होंने खुद को और अपने परिवार को वंशवाद की राजनीति से हमेशा दूर रखा. आज तक उनके बेटे निशांत ने राजनीति में कदम नहीं रखा. लेकिन, 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद, नीतीश कुमार की नई कैबिनेट ने उन्हें उसी मुद्दे पर घेर लिया है, जिसे वह विपक्ष के खिलाफ सबसे बड़े हथियार की तरह इस्तेमाल करते आए हैं - परिवारवाद.
जिन पर करते थे हमला, उन्हीं के रास्ते पर चले?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर खुद नीतीश कुमार तक, दोनों ही नेता हर मंच से कांग्रेस के गांधी परिवार और बिहार में लालू यादव के परिवार पर "परिवारवाद" को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहे हैं. उन्होंने बार-बार कहा है कि इन पार्टियों में काबिलियत की नहीं, बल्कि परिवार की पूछ होती है. लेकिन जब बिहार में एनडीए की नई सरकार का गठन हुआ, तो यह सारे दावे खोखले नजर आने लगे.
आलम यह है कि नीतीश की 26 मंत्रियों वाली नई कैबिनेट में लगभग 40 प्रतिशत, यानी 10 मंत्री ऐसे हैं, जो सीधे-सीधे बड़े राजनीतिक परिवारों से आते हैं. इसे लेकर अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने पीएम मोदी और सीएम नीतीश पर सीधा हमला बोला है और उन पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है.
मिलिए नीतीश कैबिनेट के 'सियासी वारिसों' से
आइए जानते हैं उन 10 चेहरों के बारे में, जिनकी वजह से नीतीश की कैबिनेट 'परिवारवाद' के आरोपों से घिर गई है:
यह सूची साफ दिखाती है कि चाहे पार्टी कोई भी हो, बिहार की राजनीति में सियासी विरासत का बोलबाला कायम है. लेकिन सवाल यह उठता है कि जो नेता खुद परिवारवाद पर सबसे तीखे हमले करते हैं, क्या सत्ता में आने के बाद उनके लिए इसके मायने बदल जाते हैं?
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