Up Kiran, Digital Desk: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के लिए आज का दिन एक बड़ी कानूनी जीत लेकर आया है. रामपुर की एक अदालत ने उन्हें 2019 के एक डकैती मामले में न सिर्फ बाइज्जत बरी कर दिया है, बल्कि केस की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ ही FIR दर्ज करने और विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं. इस मामले में आजम खान के साथ-साथ पूर्व सीओ आले हसन खान, सपा नेता वीरेंद्र गोयल, एसओजी प्रभारी अजब सिंह और सिपाही धर्मेंद्र को भी बरी किया गया है.
यह मामला 2019 में रामपुर के गंज थाने में दर्ज कराया गया था. एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि आजम खान और अन्य लोगों ने उसके घर में घुसकर मारपीट, लूटपाट और डकैती की है. यह उन 80 से ज्यादा मामलों में से एक था जो बीजेपी की सरकार आने के बाद आजम खान पर दर्ज हुए थे.
कोर्ट ने जांच पर उठाए गंभीर सवाल
सुनवाई के दौरान अदालत ने अभियोजन पक्ष की कहानी को बेहद कमजोर पाया. कोर्ट ने माना कि इस मामले की जांच सही तरीके से नहीं की गई और यह आजम खान को झूठा फंसाने के इरादे से की गई थी. कोर्ट ने जांच अधिकारी (Investigating Officer) पंकज कुमार अग्रवाल की भूमिका को लेकर बेहद सख्त टिप्पणी की.
कोर्ट ने पाया कि जांच अधिकारी ने मामले में निष्पक्ष जांच करने के बजाय, एकतरफा और पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया. इसी को आधार बनाते हुए अदालत ने जांच अधिकारी पंकज कुमार अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज करने और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के लिए रामपुर के पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया है.
आजम खान के लिए बड़ी राहत
यह फैसला आजम खान और उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी राहत है. पिछले कुछ सालों में उन्हें कई मुकदमों का सामना करना पड़ा है और कई मामलों में उन्हें जेल भी जाना पड़ा. हालांकि, पिछले कुछ समय में वह एक के बाद एक कई मामलों में बरी होते जा रहे हैं.
इस फैसले ने एक बार फिर आजम खान के खिलाफ दर्ज हुए मामलों की जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ जहां आजम खान को राहत मिली है, वहीं दूसरी तरफ अब जांच करने वाले अफसर खुद जांच के घेरे में आ गए हैं.


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