Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान भाजपा ने संगठन को चुस्त दुरुस्त बनाने का एक और बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने प्रदेश के सभी 44 जिलों में जिला प्रभारी और सह प्रभारी की नियुक्ति कर दी। यह फैसला हाल ही में घोषित प्रदेश कार्यकारिणी के ठीक बाद आया है और इसका सीधा मकसद जमीनी स्तर पर पार्टी को और मजबूत करना है।
खास बात यह है कि जिन नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली उन्हें अब जिलों की कमान सौंपी गई है। राजनीतिक गलियारों में इसे पार्टी का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। नाराजगी दूर करने के साथ साथ अनुभवी चेहरों को फिर से सक्रिय करने की दोहरी रणनीति साफ दिख रही है।
जयपुर शहर की कमान प्रभुलाल सैनी के हाथ
सबसे चर्चित नाम है पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभुलाल सैनी का। उन्हें जयपुर शहर जिला प्रभारी बनाया गया है। जयपुर राजस्थान की राजधानी होने के साथ साथ राजनीतिक रूप से सबसे संवेदनशील इलाका है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले नगर निगम चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर यह नियुक्ति की गई है। सैनी लंबे समय से संगठन में सक्रिय हैं और उनकी पकड़ शहरी मतदाताओं में अच्छी मानी जाती है।
आदिवासी बहुल इलाकों में भी फोकस
उदयपुर देहात की जिम्मेदी अब पूर्व उपाध्यक्ष मोतीलाल मीणा संभालेंगे। मीणा जमीनी नेता हैं और आदिवासी वोट बैंक में उनकी गहरी पैठ है। इसी कड़ी में बांसवाड़ा में पूर्व प्रदेश मंत्री अनिता कटारा को सह प्रभारी बनाया गया है। बांसवाड़ा और डूंगरपुर आदिवासी राजनीति के बड़े केंद्र हैं और यहां कांग्रेस का पारंपरिक वर्चस्व रहा है। भाजपा अब इन सीटों पर पुरजोर दस्तक देना चाहती है।
पूर्व पदाधिकारियों की वापसी
पार्टी ने एक साथ दर्जन भर से ज्यादा पूर्व प्रदेश पदाधिकारियों को जिलों में तैनात किया है। जगवीर छाबा, अभिषेक मटोरिया, वीरम देव सिंह जैसे नेता अब जिला प्रभारी की भूमिका में होंगे। वहीं लक्ष्मीकांत भारद्वाज, अशोक सैनी, श्रवण सिंह राव और जोगेन्द्र सिंह राजपुरोहित भी मैदान में लौट आए हैं।
सीकर में अनिता गुर्जर को सह प्रभारी बनाया गया है। शेखावाटी क्षेत्र में जाट राजनीति का बड़ा प्रभाव है और इस नियुक्ति को उसी समीकरण को साधने की कवायद माना जा रहा है।
विधायकों को भी मिली जिम्मेदारी
भाजपा ने मौजूदा और पूर्व जनप्रतिनिधियों को भी नहीं बख्शा। विधायक गोवर्धन वर्मा और पूर्व विधायक निर्मल कुमावत को भी जिलों की कमान सौंपी गई है। इन नेताओं का विधानसभा स्तर का अनुभव अब जिला संगठन को मजबूती देगा।
असल खेल अभी बाकी है
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि ये नियुक्तियां सिर्फ शुरुआत हैं। पार्टी का पूरा फोकस अब बूथ स्तर तक पहुंचने पर है। 2026 में होने वाले नगर निकाय चुनाव और उसके बाद 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले जमीनी कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने की बड़ी योजना तैयार हो रही है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि वसुंधरा राजे खेमे से लेकर भैरों सिंह शेखावत की पुरानी टीम तक सभी को साधने की कोशिश इन नियुक्तियों में दिख रही है। प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की जोड़ी ने यह दिखा दिया है कि 2023 की हार को वे किसी भी कीमत पर दोहराना नहीं चाहते।
राजस्थान की सियासत में अगले कुछ महीने काफी गहमागहमी वाले होने वाले हैं। क्योंकि अब मैदान में सिर्फ नए चेहरे नहीं पुराने शेर भी दहाड़ने को तैयार हैं।
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