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Up Kiran, Digital Desk: देश की जनगणना, यानी लोगों की गिनती, कितनी ज़रूरी है, ये तो हम सब जानते हैं। इसी गिनती से पता चलता है कि हमारे देश में, हमारे राज्यों में, हमारे शहरों और गांवों में कितने लोग रहते हैं, उनकी उम्र क्या है, वे क्या काम करते हैं, वगैरह-वगैरह। यह डेटा सरकार के लिए बहुत अहम होता है ताकि वे सही योजनाएं बना सकें, लोगों तक मदद पहुंचा सकें, और हमारे देश को आगे बढ़ा सकें।

अब खबर ये है कि भारत राष्ट्र समिति (BRS) पार्टी ने केंद्र सरकार से पुरज़ोर गुज़ारिश की है कि जनगणना कराने में अब और ज़रा भी देरी न की जाए। आपको शायद याद हो, 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन किन्हीं वजहों से वो नहीं हो पाई। अब तीन साल से ज़्यादा का समय बीत चुका है।

BRS का कहना है कि जनगणना में इस देरी से बहुत सारी दिक्कतें आ रही हैं। ज़रा सोचिए, जब सरकार को पता ही नहीं होगा कि आज की तारीख में असल में कितने लोग हैं और वे कहां रह रहे हैं, तो वे उनके लिए स्कूल, अस्पताल, सड़कें कैसे बनाएंगे? गरीबी दूर करने वाली योजनाएं कैसे सही लोगों तक पहुंचाएंगे? किस इलाके में कितनी बिजली या पानी की ज़रूरत है, ये कैसे तय होगा?

सिर्फ इतना ही नहीं, जनगणना के डेटा का इस्तेमाल तो चुनाव क्षेत्रों की सीमाएं तय करने और आरक्षण की नीतियों में भी होता है। जब पुराना डेटा इस्तेमाल होगा, तो हो सकता है कि सही प्रतिनिधित्व न मिल पाए या ज़रूरतमंद लोगों तक फायदा न पहुंचे।

BRS के नेता कह रहे हैं कि दुनिया के कई देशों ने महामारी के बावजूद अपनी जनगणना समय पर पूरी की। फिर हमारे यहां क्यों इतनी देरी हो रही है? वे मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और बिना किसी बहाने के जल्द से जल्द जनगणना का काम शुरू करवाए ताकि देश के विकास और लोगों के कल्याण के लिए सही कदम उठाए जा सकें। यह सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, यह देश के हर नागरिक से जुड़ा मुद्दा है।

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