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Up Kiran, Digital Desk: बैंगलोर की भागदौड़ भरी जिंदगी से जब भी फुर्सत के कुछ पल चुराने का मन करता है, तो सबसे पहला नाम जो दिमाग में आता है, वो है मैसूर। आज-कल नए एक्सप्रेस-वे की वजह से यह सफर भले ही सिमटकर सिर्फ 2-3 घंटे का रह गया हो, लेकिन यकीन मानिए, इस रास्ते का असली मजा फटाफट पहुंचने में नहीं, बल्कि रुक-रुक कर इसे जीने में है।

लगभग 145 किलोमीटर का यह सफर सिर्फ एक हाईवे नहीं, बल्कि एक ऐसी कहानी है जिसमें इतिहास है, स्वाद है, कला है और ढेर सारी यादें बनाने के मौके हैं। तो अगली बार जब आप मैसूर जाने का प्लान बनाएं, तो अपनी गाड़ी की रफ्तार थोड़ी धीमी रखिएगा और इन जगहों पर रुकना मत भूलिएगा।

1. रामनगर: 'शोले' के गब्बर का इलाका

बैंगलोर से निकलते ही लगभग 50 किलोमीटर दूर आपको बड़ी-बड़ी चट्टानों वाला एक इलाका दिखेगा। यह वही रामनगर है, जहां हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी फिल्म 'शोले' की शूटिंग हुई थी। इन चट्टानों को देखते ही आपको गब्बर, सांभा और कालिया की याद आ जाएगी। अगर आप ट्रेकिंग और रॉक क्लाइम्बिंग के शौकीन हैं या बस कुछ बेहतरीन तस्वीरें लेना चाहते हैं, तो यहां थोड़ी देर रुकना तो बनता है।

2. चन्नपटना: लकड़ी के खिलौनों का रंगीन शहर

रामनगर से थोड़ा आगे बढ़ते ही आपको सड़क के दोनों तरफ लकड़ी के बने रंग-बिरंगे खिलौनों की दुकानें दिखने लगेंगी। स्वागत है आपका चन्नपटना में, जिसे 'भारत के खिलौनों का शहर' भी कहा जाता है। यहां पारंपरिक तरीके से बने लकड़ी के खिलौने मिलते हैं, जो न सिर्फ खूबसूरत होते हैं, बल्कि बच्चों के लिए सुरक्षित भी। अपने घर के लिए या किसी को तोहफा देने के लिए यहां से कुछ यादगार चीजें खरीदना एक शानदार अनुभव है।

3. मांड्या: गन्ने की मिठास और 'मद्दुर वड़ा' का स्वाद

जैसे ही आप मांड्या जिले में प्रवेश करेंगे, आपको चारों तरफ हरे-भरे गन्ने के खेत दिखेंगे। यहां की हवा में भी एक अलग सी मिठास घुली होती है। इसे 'शुगर सिटी' यानी 'चीनी का शहर' भी कहा जाता है। यहां किसी छोटी सी दुकान पर रुककर ताजा गन्ने का रस पीना बिल्कुल न भूलें। और हां, अगर आपको कुछ चटपटा खाने का मन है, तो यहां का मशहूर 'मद्दुर वड़ा' जरूर ट्राई करें। इसका स्वाद ऐसा है कि आप कभी भूल नहीं पाएंगे।

4. श्रीरंगपट्टण: इतिहास के पन्नों में एक द्वीप

मैसूर पहुंचने से ठीक पहले कावेरी नदी के बीच बसा यह छोटा सा द्वीप शहर अपने अंदर एक बहुत बड़ा इतिहास समेटे हुए है। यह 'शेर-ए-मैसूर' यानी टीपू सुल्तान की राजधानी हुआ करती थी। यहां आप श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं, टीपू सुल्तान के समर पैलेस (दरिया दौलत बाग) की खूबसूरती निहार सकते हैं और गुंबज में टीपू और उनके माता-पिता की कब्र देख सकते हैं। यह जगह आपको इतिहास के उस दौर में ले जाएगी जिसके बारे में हमने सिर्फ किताबों में पढ़ा है।

तो देखा आपने? बैंगलोर से मैसूर का यह रास्ता सिर्फ एक मंजिल तक नहीं, बल्कि कई खूबसूरत अनुभवों तक ले जाता है। तो अगली बार जब इस रूट पर निकलें, तो इन छिपे हुए खजानों को देखना न भूलें। सफर खूबसूरत हो, तो मंजिल का मजा दोगुना हो जाता है!