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Up Kiran, Digital Desk: आपका फोन सुबह 100% चार्ज होता है और दोपहर तक दम तोड़ देता है? आपने फोन इस्तेमाल भी नहीं किया, फिर भी बैटरी गायब हो गई? आप अकेले नहीं हैं. इस परेशानी का असली गुनहगार आपके फोन में छुपे कुछ 'बैटरी चोर' ऐप्स हैं जो बैकग्राउंड में चुपके-चुपके आपकी बैटरी चूसते रहते हैं. लेकिन अब गूगल इन ऐप्स की दुकान बंद करने जा रहा है.

गूगल प्ले स्टोर पर एक ऐसा बड़ा बदलाव करने जा रहा है, जिससे यूजर्स को पहली नजर में ही पता चल जाएगा कि कौन सा ऐप उनकी बैटरी का सबसे बड़ा दुश्मन है.

क्या है समस्या और क्या है गूगल का 'रेड लेबल' प्लान?

हमारे फोन में कुछ ऐप्स का बैकग्राउंड में चलना जरूरी होता है, जैसे म्यूजिक ऐप्स या नेविगेशन ऐप्स. इन्हें तकनीकी भाषा में 'फोरग्राउंड सर्विसेस' का इस्तेमाल करने वाले ऐप्स कहते हैं. लेकिन कई चालाक ऐप डेवलपर्स इस फीचर का गलत फायदा उठाते हैं. वे बिना किसी ठोस वजह के अपने ऐप को बैकग्राउंड में 'जिंदा' रखते हैं ताकि वे आपकी एक्टिविटी ट्रैक कर सकें या आपको फालतू के विज्ञापन दिखा सकें. इसका नतीजा? आपके फोन की बैटरी तेजी से खत्म होती है.

अब गूगल इसी खेल को खत्म करने जा रहा है. गूगल ने डेवलपर्स के लिए एक नया और सख्त नियम बनाया 

कारण बताओ नोटिस: अब हर ऐप को यह साफ-साफ बताना होगा कि उसे बैकग्राउंड में क्यों चलना है. अगर किसी ऐप के पास कोई वाजिब कारण नहीं होगा, तो गूगल उस पर कार्रवाई करेगा.

प्ले स्टोर पर 'रेड लेबल': इतना ही नहीं, गूगल ऐसे ऐप्स की पहचान के लिए प्ले स्टोर पर एक 'रेड लेबल' यानी लाल निशान भी लगा सकता है. इससे ऐप डाउनलोड करने से पहले ही यूजर को चेतावनी मिल जाएगी कि यह ऐप उसकी बैटरी को बहुत तेजी से खत्म कर सकता है.

यह ठीक वैसा ही है जैसे किसी खाने के पैकेट पर लाल निशान देखकर आपको पता चल जाता है कि यह सेहत के लिए ठीक नहीं है.

आपको क्या मिलेगा फायदा?

इस बदलाव का सीधा फायदा आम यूजर को मिलेगा.

बढ़ेगी बैटरी लाइफ: जब आपको पता होगा कि कौन सा ऐप बैटरी का दुश्मन है, तो आप या तो उसे डाउनलोड नहीं करेंगे, या उसकी बैकग्राउंड एक्टिविटी को बंद कर देंगे. इससे आपके फोन की बैटरी काफी ज्यादा चलेगी.

बेहतर परफॉर्मेंस: बैकग्राउंड में कम ऐप्स चलने से फोन का प्रोसेसर फ्री रहेगा और आपका फोन पहले से तेज और स्मूथ चलेगा.

पूरी पारदर्शिता: अब ऐप डेवलपर्स आपसे यह बात छिपा नहीं पाएंगे कि उनका ऐप बैकग्राउंड में क्या-क्या गुल खिला रहा है.

हालांकि, गूगल ने ऐप डेवलपर्स को सुधरने के लिए 31 मार्च, 2026 तक का लंबा समय दिया है. यानी इस नियम को पूरी तरह से लागू होने में अभी वक्त है, लेकिन यह साफ है कि गूगल ने यूजर्स की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक को सुलझाने के लिए कमर कस ली है.