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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह साबित किया है कि उनकी 'सुशासन' की नीति सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि कार्रवाई के स्तर पर भी ज़मीन पर दिखाई दे रही है। राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को लेकर एक अभूतपूर्व अभियान चलाया जा रहा है, जिसका असर अब आंकड़ों में भी साफ झलकने लगा है।

निगरानी ब्यूरो द्वारा साझा किए गए ताज़ा आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि 2025 के शुरुआती 150 दिनों में यानी जनवरी से मई तक कुल 34 भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इन पर या तो रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने, अवैध संपत्ति जमा करने, या फिर पद का दुरुपयोग करने के आरोप हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि औसतन हर 4 से 5 दिन में एक भ्रष्ट कर्मचारी पर शिकंजा कसा गया है — जो कि पिछले वर्षों की तुलना में काफी तेज़ रफ्तार है।

रिश्वत में 12 लाख से ज्यादा बरामद

निगरानी ब्यूरो ने इस वर्ष 27 लोकसेवकों को घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। इनसे बरामद हुई रिश्वत की राशि लगभग 12 लाख 46 हजार रुपये है। वहीं, 4 अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति (डीए) केस दर्ज किए गए हैं और 3 कर्मियों पर अपने पद का दुरुपयोग करने के मामले में कार्रवाई की गई है।

गिरफ्तार किए गए इन लोकसेवकों को निगरानी अदालत के समक्ष पेश कर जेल भेजा गया है। ये घटनाएं सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि ये उस सोच और सिस्टम का हिस्सा हैं जो अब भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।

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