
Up Kiran, Digital Desk: AUKUS समझौता (AUKUS Pact), जो ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक ऐतिहासिक त्रिपक्षीय सुरक्षा संधि है, इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में गंभीर सवालों के घेरे में आ गया है। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियां (Nuclear-Powered Submarines) मिलने वाली हैं, लेकिन हाल के सर्वेक्षणों और जनमत विश्लेषणों से पता चला है कि ऑस्ट्रेलियाई जनता का एक बड़ा हिस्सा इस बात को लेकर संशय में है कि यह महत्वाकांक्षी वादा वास्तव में पूरा हो पाएगा या नहीं। यह स्थिति न केवल ऑस्ट्रेलिया की रक्षा रणनीति (Australia Defense Strategy) के लिए चिंता का विषय है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में भू-राजनीतिक समीकरणों पर भी इसका असर पड़ सकता है।
AUKUS समझौता क्या है और इसका उद्देश्य क्या था?
सितंबर 2021 में घोषित AUKUS डील (AUKUS Deal), ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएस के बीच एक उच्च-स्तरीय रक्षा और सुरक्षा साझेदारी है। इसका प्राथमिक उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों के अधिग्रहण में मदद करना था, जिससे वह चीन के बढ़ते प्रभाव (China's Influence) का सामना करने और क्षेत्रीय स्थिरता (Regional Stability) बनाए रखने में सक्षम हो सके। यह समझौता तीनों देशों के बीच उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों (Advanced Military Technologies) के हस्तांतरण और साझा विकास को भी बढ़ावा देता है। यह समझौता क्वाड (QUAD) जैसी अन्य पहलों के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत सुरक्षा (Indo-Pacific Security) ढांचे को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
भारी लागत (Massive Cost): यह सौदा अत्यधिक महंगा है, जिसकी अनुमानित लागत 368 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग 245 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच सकती है। इतनी बड़ी राशि को लेकर करदाताओं के बीच चिंता स्वाभाविक है कि क्या यह पैसा बुद्धिमानी से खर्च किया जा रहा है। आर्थिक बोझ (Economic Burden) को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
लंबी समय-सीमा (Long Timeline): परमाणु पनडुब्बियों की वास्तविक डिलीवरी 2040 के दशक तक होने की उम्मीद है। इतनी लंबी प्रतीक्षा अवधि को देखते हुए, कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह सौदा तब तक प्रासंगिक रहेगा, जब तक पनडुब्बियां वास्तव में सेवा में आती हैं। इस बीच सैन्य क्षमता में कमी (Military Capability Gap) का भी डर है।
वितरण की अनिश्चितता (Uncertainty of Delivery): ऑस्ट्रेलियाई लोग चिंतित हैं कि क्या ब्रिटेन और अमेरिका अपनी घरेलू उत्पादन क्षमताओं को देखते हुए समय पर पनडुब्बियां वितरित कर पाएंगे। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain) और तकनीकी जटिलताएं (Technical Complexities) भी चिंता का विषय हैं।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer): हालांकि समझौते में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है, लेकिन इसकी पूर्णता और ऑस्ट्रेलिया की आत्मनिर्भरता (Self-Reliance Australia) पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया पूरी तरह से यूके और यूएस पर निर्भर रहेगा।
भू-राजनीतिक बदलाव (Geopolitical Shifts): 2040 तक दुनिया की भू-राजनीतिक स्थिति काफी बदल सकती है। ऐसे में, क्या यह वर्तमान रणनीति तब भी प्रभावी रहेगी, यह भी एक बड़ा प्रश्न है।
अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रभाव: AUKUS समझौते पर संदेह का गहराना केवल ऑस्ट्रेलिया का आंतरिक मामला नहीं है। यह समझौता अंतर्राष्ट्रीय संबंधों (International Relations) और रक्षा कूटनीति (Defense Diplomacy) के लिए भी महत्वपूर्ण है:
चीन की प्रतिक्रिया (China's Reaction): चीन ने शुरुआत से ही AUKUS की कड़ी निंदा की है, इसे "शीत युद्ध की मानसिकता" और "क्षेत्रीय हथियारों की दौड़" को बढ़ावा देने वाला बताया है। यदि समझौता विफल होता है या इसमें देरी होती है, तो चीन इसे अपनी बयानबाजी को मजबूत करने के अवसर के रूप में देख सकता है।
सहयोगियों के बीच विश्वास (Trust Among Allies): यदि ऑस्ट्रेलिया अपनी मुख्य रक्षा परियोजना के बारे में आश्वस्त नहीं है, तो यह यूके और यूएस के साथ उसके रणनीतिक संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है, भले ही वे सार्वजनिक रूप से एक मजबूत गठबंधन का प्रदर्शन करते हों।
क्षेत्रीय सुरक्षा (Regional Security): इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा समीकरणों में पनडुब्बियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। यदि ऑस्ट्रेलिया की नौसेना को अपेक्षित क्षमता नहीं मिलती है, तो यह क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
ऑस्ट्रेलियाई सरकार को इस गहरे संदेह को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इसमें समझौते की लागत, समय-सीमा और डिलीवरी तंत्र पर अधिक पारदर्शिता (Transparency AUKUS) शामिल है। उन्हें जनता को आश्वस्त करना होगा कि यह भारी निवेश देश की राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security Australia) और भविष्य के लिए आवश्यक है। AUKUS का भविष्य सिर्फ तकनीकी या वित्तीय विवरणों पर नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलियाई जनता के विश्वास और सरकारों के बीच सहयोग की दृढ़ता पर भी निर्भर करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएस इस जटिल चुनौती से कैसे निपटते हैं और क्या AUKUS वास्तव में वह 'गेम चेंजर' साबित हो पाएगा, जिसकी कल्पना की गई थी।
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