Up Kiran, Digital Desk: लंदन में रहने वाली अरुणाचल प्रदेश मूल की प्रेमा वांगजोम थोंकडोक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने कहा कि शंघाई में जो व्यवहार हुआ उससे उन्हें लगा जैसे भारत की संप्रभुता का अपमान हुआ हो। प्रेमा ने सरकार से गुजारिश की है कि वह चीन के सामने इस मुद्दे को मजबूती से उठाए ताकि भविष्य में अरुणाचल के किसी भी नागरिक को ऐसा अपमान न सहना पड़े।
भारतीय दूतावास ने बचाई लाज
घटना के बाद प्रेमा अपनी ब्रिटिश दोस्त की मदद से किसी तरह शंघाई स्थित भारतीय कांसुलेट पहुंच पाईं। वहां भारतीय अधिकारियों ने तुरंत सहायता की और उन्हें सुरक्षित निकाला। प्रेमा ने बताया कि अगर भारतीय दूतावास न होता तो शायद वे जापान की फ्लाइट ही नहीं पकड़ पातीं और अनिश्चितकाल तक फंसी रहतीं।
पिछले साल कुछ नहीं हुआ था, इस बार मजाक तक उड़ाया
प्रेमा ने बताया कि पिछले साल भी वे इसी रूट से शंघाई ट्रांजिट कर जापान गई थीं। उस वक्त कोई दिक्कत नहीं हुई। लेकिन इस बार 21 नवंबर को स्थिति पूरी तरह बदल गई। चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस के स्टाफ से लेकर कई इमिग्रेशन अफसर तक उनका मजाक उड़ाते रहे। कुछ अधिकारियों ने तो सलाह तक दे डाली कि चीनी पासपोर्ट बनवा लो, समस्या खत्म हो जाएगी।
पासपोर्ट पर जन्मस्थान बना मुसीबत
दरअसल प्रेमा का पासपोर्ट पूरी तरह वैध था और जापान का वीजा भी लगा हुआ था। लेकिन जब उन्होंने शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर ट्रांजिट के लिए इमिग्रेशन काउंटर पर पासपोर्ट जमा किया तो अफसरों ने जन्मस्थान देखते ही उसे अवैध घोषित कर दिया। एक अधिकारी ने जोर-जोर से “इंडिया-इंडिया” चिल्लाते हुए सबके सामने उन्हें बुलाया और साफ कहा कि अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है इसलिए यह पासपोर्ट यहां मान्य नहीं।
घंटों हिरासत और मानसिक प्रताड़ना
पासपोर्ट जब्त कर लिया गया। प्रेमा को कई घंटे हिरासत में रखा गया। उनका कहना है कि इस दौरान उन्हें लगातार मानसिक तनाव दिया गया। जापान जाने वाली फ्लाइट छूट गई। वे अकेली थीं और विदेशी धरती पर पूरी तरह असहाय महसूस कर रही थीं।
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